नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

सुन्दरता की ब्लैकमेलिंग - एस सी बेदी

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट:
पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 40 | प्रकाशक: राज पॉकेट बुक्स | श्रृंखला: राजन-इकबाल 

समीक्षा: सुन्दरता की ब्लैकमेलिंग - एस सी बेदी

कहानी:
माला शहर के एक धनाढ्य व्यक्ति मोहन जयसवाल की जवान बीवी थी। जहाँ मोहन जयसवाल साठ के लगभग उम्र का था वहीं माला एक चौबीस वर्षीय युवती थी। 

लेकिन फिर अचानक माला की मृत्यु हो गई। सेठ की माने तो माला ने आत्महत्या की थी। 

परन्तु पुलिस के आई जी को इस बात पर यकीन न था। उन्हें कुछ बातें ऐसी पता चली थी जिससे सेठ जयसवाल का ब्यान मेल नहीं खा रहा था। 

इसलिए अब उन्होंने राजन इकबाल और सलमा शोभा को यह मामला सौंपा था। 

आखिर माला की मौत कैसे हुई थी?

सेठ मोहन जयसवाल के बयान में ऐसा क्या था जिसने आई जी को राजन को बुलाने पर मजबूर कर दिया था?

क्या राजन इक़बाल माया की मौत के रहस्य से पर्दा उठा पाए?

मुख्य किरदार:

मोहन जयसवाल - शहर के एक धनाढ्य व्यक्ति 
माला जयसवाल - मोहन जायसवाल की पत्नी 
मेरिना - मोहन और माला की बेटी के लिए रखी गई नर्स
राजन, इक़बाल, सलमा, शोभा - बाल सीक्रेट एजेंट 
मि वॉकर - इटली का एक रईसजादा
हरीश - एक फौजी कैप्टेन जो कि फ़ौज से टाँग में चोट लगने के कारण सेवानिवृत्त कर दिया गया था 
आयशा - अकबर होटल की काउंटर गर्ल 
आशा - डॉक्टर हरिपाल की बीवी 
अशोक महाजन - अकबर होटल का मैनेजर
नीमा - आशा की सेक्रेटरी 
आर्मेन - राकेट क्लब का सेक्रेटरी 

मेरे विचार:

सुन्दरता की ब्लैकमेलिंग बाल सीक्रेट एजेंट 999 राजन इकबाल श्रृंखला की उपन्यासिका है। चालीस पृष्ठों में फैली इस कृति को शायद उपन्यास न कहा जा सके। वहीं वैसे तो इसे बाल उपन्यास कहकर प्रस्तुत किया गया है लेकिन मैं इसे किशोर उपन्यासिका कहूँगा क्योंकि इसकी विषय वस्तु बाल पाठको के लिए नहीं वरन किशोरों के लिए उपयुक्त है। किताब पर दर्ज संख्या के अनुसार यह  राजा के बाल पॉकेट बुक्स से प्रकाशित होने वाला 227वाँ बाल उपन्यास है। राजन इकबाल श्रृंखला का यह कौन सा कृति है इसकी जानकारी किताब में नहीं दी गई है। 

प्रस्तुत कृति सुन्दरता की ब्लैकमेलिंग जैसे कि शीर्षक से ही साफ पता लगता है ब्लैकमेलिंग पर आधारित है। 

उपन्यास की शुरुआत एक आत्महत्या से होती है जिसकी जाँच पड़ताल के लिए राजन और उसकी टीम को शहर के आईजी द्वारा नियुक्त करवाया जाता है। उनकी जाँच के घेरे में कौन कौन आता है और इस जाँच का परिणाम  क्या निकलता है यही इस पुस्तक का कथानक बनता है।

अगर आपने राजन इकबाल के उपन्यास पढ़े हैं तो आपने पाया होगा कि अक्सर उसमें संयोग काफी होते हैं। उदाहरण के लिए कभी वह उसी जगह मौजूद रहते हैं जहाँ अपराध घटित होता है या फिर कई बार वह मामले की जाँच पड़ताल करना शुरू करते ही हैं कि संयोगवश अपराधियों से टकरा जाते हैं। इसके बाद उन्हें बस उनका पीछा ही करना होता है। परन्तु इधर यह देखना मुझे अच्छा लगा कि उन लोगों को पहले तो काम के लिए नियुक्त किया जाता है और फिर वो लोग मामला सुलझाने के लिये तहकीकात भी करते  हैं। अपनी तहकीकात के चलते वह कई संदिग्ध लोगों से मिलते हैं। इस दौरान उन पर हमला भी होता है और उनके और अपराधी के बीच चूहे बिल्ली का खेल भी चलते है जहाँ अपराधी उनसे दो कदम आगे ही दिखता प्रतीत होता है। यानी किताब के अंत तक अपराधी कौन है यह रहस्य बना ही रहता है। 

यह सब बातें उपन्यास में रोमांच बनाये रखती हैं। कहानी के अंत में एक ट्विस्ट भी आता है जिससे पाठक के लिए यह एक संतुष्ट करने वाली कृति बन जाता है। 

उपन्यास चूँकि राजन इकबाल श्रृंखला का है इक़बाल द्वारा यहाँ भी अच्छा हास्य पैदा किया गया है। राजन शोभा और इक़बाल के बीच का समीकरण रोचकता जगाता है। हाँ, सलमा का उपन्यास में न होना खलता भी है क्योंकि उसके और इक़बाल के बीच के संवाद भी इस श्रृंखला के उपन्यासों में रोचकता लाते हैं। 

राजन-इकबाल के उपन्यासों की एक खासियत यह भी है कि कई बार राजन को ऐसी बातें पता होती है जो कि इकबाल को पता नहीं रहती हैं। यही कारण है वह इस टीम का नेता भी है। यह इधर भी देखने को मिलता है।

किताब में मिस्टर वाकर का किरदार भी रोचक है। ऐसा अक्सर देखने में आया कि व्यक्ति जैसा दिखता है अक्सर वैसा होता नहीं है। व्यक्ति शारीरिक तौर पर खूबसूरत हो सकता है लेकिन उसका मन या चरित्र भी वैसा ही हो यह कहा नहीं जा सकता है। परन्तु फिर भी लोग खूबसूरत लोगों से ज्यादा प्रभावित होते हैं और ऐसे में उनके द्वारा ज्यादा ठगे जाते हैं। यह कृति यह सीख भी कहीं न कहीं दे जाती है। इसलिए सूरत नहीं सीरत देखी जानी चाहिए।

किताब के बाकी किरदार कथानक के हिसाब से ही बुने गये हैं और उसके साथ न्याय करते दिखते हैं। 

किताब की कमियों की बात करूँ तो एक ही चीज मुझे खली। इसकी शुरुआत में आईजी राजन को एक बात कहकर केस पर लगवाते हैं। उनका कहना यह होता है कि उस व्यक्ति का बयान उनके पास मौजूद तथ्यों से मेल नहीं खाता है। परन्तु अंत में ऐसा क्यों होता है इस पर कोई रौशनी डाली नहीं गई है। अगर डाली जाती तो बेहतर होता। 

अंत में यही कहूँगा कि सुन्दरता की ब्लैकमेलिंग मुझे पसंद आया है। हाँ चूँकि इसे बाल पाठकों को ध्यान में रखकर लिखा था तो उसके चलते कथानक थोड़ा सरल लग सकता है। अगर आप इस बात को ध्यान रखेंगे तो निराश नहीं होंगे और इसका लुत्फ़ ले पायेंगे। 

अगर आपने सुन्दरता की ब्लैकमेलिंग को पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा? 

राजन-इकबाल श्रृंखला के आपके पसंदीदा उपन्यास कौन से हैं? उन किरदारों के नाम मुझसे साझा जरूर कीजियेगा।



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