नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

चट्टानों में आग - इब्ने सफ़ी

संस्करण विवरण:
फॉरमेट: पेपरबैक | प्रकाशन: हार्पर हिन्दी | पृष्ठ संख्या: 158 | श्रृंखला: इमरान #2 | अनुवादक: रहमान मुसव्विर 

किताब लिंक: अमेज़न 

समीक्षा: चट्टानों में आग | इब्ने सफ़ी | इमरान सीरीज


कहानी:

ली यूका एक अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह का सरगना था जिसका खौफ पिछले 200 सालों से कायम था।आजतक कोई भी उस गैंग के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ नहीं उठा पाया था। ली यूका कौन था यह कोई भी जानता था लेकिन उसकी नज़र हर किसी पर रहती थी।

ऐसे में जब कर्नल ज़रग़ाम को ली यूका की गैंग की तरफ से धमकी मिलने लगी तो उसका घबराना लाजमी था। 

कर्नल ने खुद की सुरक्षा के लिए फेडरल विभाग के कैप्टेन फयाज से मदद माँगी तो उसने अली इमरान को सोनागिरी कर्नल ज़रग़ाम के पास भेज दिया।

वहीं सोनागिरी के सम्मानीय लोग आजकल एक नई मुसीबत से जूझ रहे थे। शेफ्टन नाम का कोई व्यक्ति इन लोगों को धमकी भरे पत्र लिख रहा था। उसका कहना था कि अगर उसे पैसे न दिए गए तो वह उनकी हत्या कर देगा। सोनागिरी की पुलिस इस अपराधी को अब तक ढूंढ नहीं पायी थी। 

क्या अली इमरान ली यूक़ा से कर्नल को बचा पाया?

आखिर कौन था ये ली यूका और दो सौ वर्षों से इसका खौफ कैसे कायम था?

आखिर ये शेफ्टन कौन था और वो सोनागिरी के लोगों को खत भेज रहा था? क्या सोनागिरी की पुलिस इसका पता लगा पायी?

यह भी पढ़ें:  पुस्तक अंश: चट्टानों में आग

मुख्य किरदार 

कर्नल ज़रग़ाम - सोनागिरी में रहने वाले रिटायर्ड कर्नल
सोफिया - कर्नल की बेटी
अनवर और आरिफ - कर्नल के भतीजे
कैप्टेन फ़ैयाज़ - फेडरल डिपार्टमेन्ट का अफसर
अली इमरान - कैप्टेन फ़ैयाज़ का दोस्त जो आपराधिक मामले सुलझाने में रुचि रखता था।
ली यूका - ड्रग्स की तस्करी करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह का सरगना
कर्नल डिक्सन - ज़रग़ाम का दोस्त
बारतोश - एक पेंटर जो कर्नल डिक्सन का दोस्त था
मार्था - डिक्सन की बेटी
इंस्पेक्टर ख़ालिद - गुप्तचर विभाग का अफसर
शिफ्टेन - एक व्यक्ति जो सोनागिरी के धनाढ्य लोगों को धमकी भरे खत भेज रहा था

मेरे विचार:

चट्टानों में आग इब्ने सफ़ी द्वारा लिखी गई अली इमरान श्रृंखला का दूसरा उपन्यास है। यह उनके उर्दू में लिखे उपन्यास चट्टानों में फायर का हिंदी अनुवाद है।  अनुवाद रहमान मुसव्विर ने किया है और यह अच्छा बन पड़ा है। 

अली इमरान को अगर आप नहीं जानते हैं तो यह एक युवा है जो कि पेचीदा से पेचीदा मामले सुलझाने की काबिलियत रखता है। अली इमरान की एक खासियत यह है कि यह खुद को हमेशा बेवकूफ दर्शाने की कोशिश करता रहता है जिसके कारण इस श्रृंखला के उपन्यासों में हास्य का भरपूर तड़का मौजूद रहता है। 


प्रस्तुत उपन्यास चट्टानों की आग में इमरान कैप्टेन फ़ैयाज़ के कहने पर कर्नल ज़रग़ाम की मदद करने के लिए सोनागिरी नाम के पहाड़ी इलाके में पहुँचता है। उपन्यास की शुरुआत में हम देखते हैं कि कर्नल को फ़ैयाज़ का तार मिल चुका है जिसमें उसने इमरान के विषय में एक चेतावनी उन्हें दी है। यह तार न केवल ज़रग़ाम बल्कि उसकी बेटी सोफिया के मन में भी इमरान के प्रति उस्तुकता जगा देता है। 

वहीं इमरान जब सोनागिरी पहुँचता है तो तार का अर्थ क्या था वह उन्हें जल्द ही पता लग जाता है। कई लोगों के लिए इमरान हँसी का पात्र बन जाता है लेकिन कर्नल से वह कुछ ऐसी बातें कर देता है जिससे कर्नल जो पहले उससे चिढ़ता है बाद में उसका कायल हो जाता है। उसे पता चल जाता है कि इमरान एक तेज तरार युवा है जो वक्त पड़ने पर काफी खतरनाक भी हो सकता है।  इसके बाद इमरान किस तरह से कर्नल की परेशानी को हल करता है यही उपन्यास का कथानक बनता है। 

कथानक कसा हुआ है और इमरान के बेवकूफियों के बीच ऐसी घटनाएं इसमें होती रहती हैं जो कि रहस्य और रोमांच बनाये रखते हैं। ली यूका कौन है, वह कर्नल ज़रग़ाम से अपनी चीज पाने के लिए क्या चाले चलता है और इमरान किस तरह से उनसे लोगों को बचाता है यह देखना रोचक रहता है। ली यूका का रहस्य अंत तक बरकरार रहता है। हालाँकि जो असल अपराधी था उस पर थोड़ा सा  शक मुझे हो गया था।


इमरान श्रृंखला की एक ख़ास बात इसमें मौजूद हास्य होता है और यह इधर भरपूर है। अली इमरान की हरकतें ऐसी हैं कि बरबस आपकी हँसी छूट जाती हैं। हाँ, पढ़ते हुए आप सोचते हो कि अगर असल जीवन में ऐसे दो चार व्यक्तियों से आपका पाला रोज पड़े तो यकीनन आपके दिमाग के स्क्रू जल्द ही ढीले हो जायेंगे। ऐसे किरदारों से उपन्यासों में मिलना ही ठीक है। फ़ैयाज़ जो चेतावनी कर्नल ज़रग़ाम को देता है वह बिलकुल ही सही थी। 


उपन्यास के खलनायक की बात करूँ तो यह एक गिरोह है। मुझे इसका कांसेप्ट पसंद आया और अगर केवल इस गिरोह को केंद्र में रखकर भी इब्ने सफ़ी ने कुछ लिखा होता तो मैं उसे भी पढ़ने के लिए लालायित रहता। उनका खौफ पैदा करने का तरीका रोचक था। मुख्य खलनायक का रहस्य अंत तक बरकरार रहता है। हाँ, अंत का टकराव थोड़ा और रोमांचक हो सकता था। अभी बहुत ही जल्दी निपट गया लगता है। 

उपन्यास में एक बात जो मुझे खटकी वह इसका शीर्षक है। चट्टानों में आग शीर्षक उपन्यास के कथानक पर फिट नहीं बैठता है जबकि इस उपन्यास का उर्दू में मूल शीर्षक चट्टानों में फायर एकदम फिट बैठता है। उन्होंने फायर जिसका अर्थ गोली बारी से था उसका अनुवाद आग कर दिया जिससे यह गुड़ गोबर हुआ है। यह असावधानी थोड़ा सा खटकती है। कम से कम अनुवादक का ध्यान तो इस पर जाना ही चाहिए था।

अंत में यही कहूँगा कि मुझे चट्टानों की आग बहुत पसंद आया। इमरान श्रृंखला से जो जो उम्मीदें आपको होती हैं यह उपन्यास वह पूरी करता है। एक अच्छी रहस्यकथा तो आपको देता ही है साथ में हास्य से भी आपका मनोरंजन करता है। अगर आपने अब तक नहीं पढ़ा है तो एक बार इसे पढ़ कर देख सकते हैं। 

किताब लिंक: अमेज़न

इमरान श्रृंखला के दूसरे उपन्यासों की समीक्षा:

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2 Comments
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  1. Sounds interesting! No matter what the genre is, humour (and romance) always works. And yes, the title glitch is really odd.

    Nice review. Thank you for sharing. I hadn't heard of this book/series. Adding it to my TBR.

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    1. Glad you liked it. I must warn you though Imran can be too irritaing sometimes. I would love to read your thoughts about the books.

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