नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

शर्मिष्ठा शेनॉय की पठनीय कहानियों का संग्रह है क्वर्की टेल्स

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: ई-बुक | पृष्ठ संख्या: 46 |  एएसआईएन: B07TH26WF1 | भाषा: अंग्रेजी

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शर्मिष्ठा शेनॉय की पठनीय कहानियों का संग्रह है क्वर्की टेल्स


क्वर्की टेल्स शर्मिष्ठा शेनॉय द्वारा अंग्रेजी में लिखी गयी चार कहानियों का संग्रह है। क्वर्की  का अर्थ अगर हम शब्दकोश में देखें तो यह विशेषण ऐसी चीजों और लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि सामान्य से थोड़ा अलग किन्तु रूचिकर होते है। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह शीर्षक इस कहानी संग्रह में काफी हद तक फिट बैठता है। इन चारों कहानियों की विषयवस्तु अलग हैं और लेखिका ने इसमें कुछ ट्विस्ट देने की कोशिश भी की है जो कि आपकी रूचि इसमें जगाता है।

संग्रह की पहली कहानी द मिल्स ऑफ़ द गोड्स है। कहते हैं भगवान के घर देर है पर अँधेर नहीं है। ऐसे ही कुछ इस कहानी की विषयवस्तु है। इस कहानी का कथावाचक एक रवि नामक पत्रकार है जो कि दिल्ली में रहता है। रवि की दोस्ती एक प्रताप नामक रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर से हो जाती है। रवि और प्रताप की जब मुलाक़ात होती थी तो रवि अक्सर प्रताप से किसी ऐसे मामले के विषय में उसे बताने के लिए कहा करता था जो कि काफी अजीब रहा हो। कई बार रवि की बात टालने के बाद प्रताप आख़िरकार उसे राम नाथ सिंह के बारे में बताता है। रामनाथ एक शराबी था जो कि मुश्किल से अपना गुजर बसर कर पा रहा था। फिर एक दिन रामनाथ पिए हुए प्रताप के पास आता है और रोते हुए उसे खुद को गिरफ्तार करने को कहता है। रामनाथ के अनुसार उसने एक कत्ल किया था और अब आठ महीने बाद वह अपने किये की सजा भुगतना चाहता था। रामनाथ में अचानक बदलाव क्यों हुआ यही कहानी बनती है। 

अक्सर जब हम कुछ गलत करते हैं तो एक तरह की ग्लानि मन में होती है। चोर की दाढ़ी में तिनका ऐसे ही नहीं कहा गया है। काफी कम लोग ही ऐसे होते हैं जो कि गलत करके बिना ग्लानि के जीवन व्यतीत कर देते हैं। ऐसे में कुछ चीजें ऐसी घटित हो जाए तो कि किये गये गलत काम को याद दिलाते रहे तो जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। ऐसा ही कुछ रामनाथ के साथ होता है। मुझे यह कहानी पसंद आई। हाँ, अंत में जो चीज आखिरकार रामनाथ को स्टेशन में जाने के लिए विवश करती है वह थोड़ा दूर की कौड़ी लगती है। इधर इतना ही कहूँगा कि इस चीज को थोड़ा ऐसा बनाया जाता जिस पर यकीन किया जा सके तो बेहतर होता। 

संग्रह की दूसरी कहानी डेडली डिजायर्स है। यह अजिथ और आलिया और उनके रिश्ते की कहानी है। अजिथ और आलिया की लव मैरिज हुई थी लेकिन अब अजिथ अपनी शादी शुदा जिंदगी में उतना खुश नहीं है। उनके बीच खटपट होती रहती है लेकिन फिर भी वो एक दूसरे को प्यार करते हैं। लेकिन फिर सोनिया बजाज अजिथ की जिंदगी में आती है और हालात ऐसे होते हैं कि सोनिया से अजिथ के जिस्मानी सम्बन्ध बन जाते हैं। और फिर ऐसा कुछ हो जाता है कि अजिथ को लगने लगता है कि अब वह पुलिस के चंगुल में फँस जायेगा। इन घटनाओं का उसके और आलिया के रिश्ते पर क्या असर पड़ता है। यही कहानी बनती है।

अपनी बात अगर मैं करूँ तो मुझे यह ठीक ठाक कहानी लगी। मुझे पता है कहानी के केंद्र में अजित और आलिया का रिश्ता है लेकिन जिस तरह फँसते हुए अजिथ को लेखिका ने छुड़वाया है वह मुझे ज्यादा ही सरल लगा। अगर उसे थोड़ा फँसने देते तो शायद कहानी और बेहतर हो सकती थी। इससे कहानी में रोमांच बढ़ जाता। 

कई बार हम लोग अपनी जिंदगी की खुशियों की डोर किसी ऐसे व्यक्ति को दे देते हैं जो कि उसे थामने के लायक नहीं है। इनसानों को पहचानने में कई बार हमें गलती हो जाती है और हम भूल जाते हैं कि हमारी खुशियों के लिए कोई और नहीं केवल हम ही जिम्मेदार हैं। संग्रह की तीसरी कहानी लाइफ इस ब्यूटीफुल भी एक ऐसे ही लड़की मधु की है जिसने कभी अभिषेक से टूटकर प्यार किया था और उसका सिला उसे ये मिला कि अभिषेक उसे छोड़कर चला गया। लेकिन अब वह जीवन के उस मोड़ पर खड़ी है कि उसे अभिषेक और विशाल में से किसी एक को चुनना है। अभिषेक जो उसके पास वापिस आना चाहता है और विशाल जो उससे प्यार करता है। उसका क्या चुनाव होगा यही कहानी का अंत बनता है। 

यह कहानी इस संग्रह में मौजूद मेरी पसंदीदा कहानियों में से एक है। इनसानी रिश्ते बहुत ज्यादा जटिल होते हैं और कई बार हम फैसले भावनाओं में बहकर ले लेते हैं और फिर पछताते हैं। मधु ने पहले एक ऐसा निर्णय लिया था और अब वह उस जगह पर खड़ी थी जहाँ पर उसे फिर से निर्णय लेना था। मधु ने जो निर्णय आखिर में लिया वह मुझे तो सही लगा। वैसे तो शर्मिष्ठा शेनॉय रहस्यकथाएँ ही लिखती है लेकिन मैं जरूर चाहूँगा कि वह इस तरह का कोई उपन्यास जरूर लिखें।

राजबीर्स स्टोरी इस संग्रह की चौथी कहानी है। यह कहानी कौन बता रहा है लेखिका शुरुआत में एक रहस्य रखती हैं। राजबीर एक तेईस साल का युवक था जो कि देश की रक्षा के लिए शहीद हो गया था। राजबीर के अफसर कर्नल विवेक गुप्ता और उसके दोस्त रूद्र उसकी तारीफों के आज पुल बांध रहे हैं लेकिन कथावाचक आपको उसकी कहानी सुनाना चाहता है। वह चाहता है कि आप जाने कि राजबीर बचपन में कैसा था और उसने क्यों सेना में शामिल होने का फैसला किया। आखिर ऐसा क्या हुआ जिसने उसे ऐसे बहादुर सैनिक में तब्दील कर दिया था। 

यह कहानी जंग और उससे होते नुकसान पर केन्द्रित है। अक्सर जब सैनिक  शहीद होते हैं तो हम उनकी शान में कसीदे पड़ अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर देते हैं। लेकिन उनका परिवार और उनके बच्चों पर इसका क्या असर पड़ता है इस पर हम लोग ध्यान नहीं देते हैं और न ही इस विषय पर हम कुछ सोचते हैं। यह कहानी इसी पर हमारा ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करती है। कहानी मुझे पसंद आई। हालाँकि कथावाचक कौन है यह मुझे पहले ही पता चल गया था। हाँ, कहानी के आखिर में कथावाचक एक भाषण देता है उससे बचा जा सकता था। कहानी वह चीज अपने आप साफ कर देती है तो अलग से बोलने की जरूरत नहीं थी।

अंत में यही कहूँगा कि चारों कहानियाँ पठनीय हैं। शुरुआत की दो कहानियाँ और बेहतर हो सकती थीं लेकिन फिर भी इस संग्रह को एक बार पढ़ा जा सकता है।

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