नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

पार्टी नोट्स: एक सुपरस्टार की बीवी - रवि बुले | बॉलीवुड स्टोरी बॉक्स

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: ई-बुक | प्रकाशक: जगरनॉटपृष्ठ संख्या: 45 |  श्रृंखला: बॉलीवुड स्टोरी बॉक्स

किताब लिंक: ई-बुक

समीक्षा: पार्टी नोट्स: एक सुपर स्टार की बीवी - रवि बुले


पहला वाक्य:
साबिर सही कहता है, 'तुम बहुत पीने लगी हो आजकल और पीने के बाद क्या-क्या करती हो, तुम्हें ही पता नहीं रहता है।'

कहानी:

साबिर बॉलीवुड का एक सुपर स्टार था। कामिनी साबिर की पत्नी थी और अपने जीवन से उकता चुकी थी। कभी उसे यह डर सताता था कि कहीं साबिर उसे छोड़कर किसी दूसरी जवान लड़की से शादी न कर ले लेकिन फिर जब एक दिन साबिर ने कामिनी से अलग होने का फैसला किया तो कामिनी ने चैन की साँस ली। वह शायद खुद भी यही चाहने लगी थी। 

आखिर ऐसा क्या हुआ था कि कामिनी को साबिर से तलाक लेना मंजूर हो गया था? 

मेरे विचार:

पार्टी नोट्स: एक सुपरस्टार की बीवी रवि बुले की बॉलीवुड स्टोरी बॉक्स श्रृंखला की एक उपन्यासिका है। जैसा की नाम से ही जाहिर है कि बॉलीवुड स्टोरी बॉक्स श्रृंखला की कहानियों में रवि बुले ने बॉलीवुड से जुड़े लोगों की जिंदगी को केंद्र में रखा है। 

डायरी के नोट्स के रूप में लिखी गयी यह उपन्यासिका एक सुपर स्टार की पत्नी के जीवन से पाठकों को वाकिफ कराती है। मई महीने की बारह तारीख से शुरू होते हुए यह नोट्स अगस्त की पन्द्रह तारीख तक जाते हैं। यह नोट्स कामिनी के जीवन की उन घटनाओं को दर्शाते हैं जिनसे गुजरने के बाद उसे बॉलीवुड सुपरस्टार साबिर से शादी एक गलती और उससे हुआ तलाक आज़ादी लगने लगा था।

उपन्यासिका  में मौजूद कामिनी का किरदार एक ऐसी लड़की का है जिसके पास दौलत तो है लेकिन उसे अपना जीवन खाली और अधूरा लगता है। बॉलीवुड का सुपरस्टार साबिर उसका पति है जो कि कईयों के लिए रश्क का विषय है लेकिन कामिनी जानती है साबिर से शादी करना उतना मनमोहक भी नहीं है जितना की लोगों को लगता है। साबिर कामिनी के साथ वक्त नहीं बिताता है। वह अपने कार्य में व्यस्त रहता है। जहाँ एक तरफ वह खुद तो फिल्मों में कार्य करता है वहीं दूसरी तरफ वह नहीं चाहता कि कामिनी फिल्मों में कार्य करे। उसकी इस शर्त के कारण ही कामिनी के पास सब कुछ होते हुए भी जीवन का मकसद नहीं है। जीवन में मकसद न होने के चलते वह शराब के नशे में अपनी जिंदगी बिता रही है। पार्टियों से अपनी खाली जीवन को भरने की कोशिश कर रही है और  इन्हीं पार्टियों और उससे जुड़े लोगों के जीवन के अनुभव नोट्स के रूप में दर्ज कर रही है। 


इन पार्टियों के नोट्स के जरिये पाठकों को कामिनी के जीवन के विषय में तो पता चलता है साथ ही अन्य ऐसे लोगों के विषय में पता चलता है जो कि इन पार्टियों में उससे मिलते हैं। यहाँ ऐसे कलाकार हैं जो कि फ़िल्मी परदे पर भले ही जैसे दिखे व्यक्तिगत जीवन में वह केवल सेक्स करने को ही अपने जीवन का ध्येय समझते हैं। यहाँ ऐसी अदाकाराएं हैं जिनका मकसद ऐसे शादी शुदा लोगों से अफेयर करना है जिससे उनके करियर एक तरह का बूस्ट मिले। वहीं ऐसी पत्नियाँ भी हैं जो ऐसे नायिकाओं से अपने पति और शादी को बचाने के लिए तिकड़में लगाती रहती हैं। यहाँ ऐसी माँएँ हैं जो कि अपनी आकांक्षाओं की पूर्ती के लिए अपनी बेटियों का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकती हैं वहीं ऐसी माँएँ भी हैं जो कि अपनी बेटी के साथ हुई छेड़खानी को लेकर इसीलिए कुछ नहीं करना चाहती हैं क्योंकि वह जानती हैं इससे उनके आगे के फ़िल्मी जीवन पर असर पड़ सकता है। कभी कभी इन किरदारों को देखकर लगता है कि यह सभी शिकारी हैं जो कि एक दूसरे का शिकार करने के लिए तैयार हैं।

फ़िल्मी दुनिया और उसे जुड़े लोग अक्सर आम लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। उनका जीवन कैसा है इसकी अटकलें लोग लगाते रहे हैं और इस कारण अखबार और पत्रिकाएँ लोगों की इस इच्छा को भुनाने का कार्य करते हैं। फिर चाहे वह बॉलीवुड अदाकारों की फिल्मों से जुड़ी खबरें हों या उनकी व्यक्तिगत जिंदगी से जुड़ी गॉसिप जिसे कई बार पत्रकार ब्लाइंड आइटम्स (ऐसे लेख जिनमें इशारों इशारों में बॉलीवुड कलाकारों के निजी जीवन की चीजों को मिर्च मसाला लगाकर परोसा जाता है। कई बार कलाकारों पर व्यक्तिगत हमले और उन्हें बदनाम करने के लिए भी इनका प्रयोग होता है।) की शक्ल में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। इन सभी में लोगों की रूचि रहती है। इस कारण लोग उनकी निजता का ख्याल अक्सर नहीं करते हैं और उनके विषय में खबरे चलाते रहते हैं। ऐसे में इन खबरों का क्या असर इन फ़िल्मी हस्तियों पर पड़ता है यह भी इधर लेखक दर्शाने में कामयाब होते हैं। 

प्रस्तुत रचना भी कई बार ब्लाइंड आइटमों का समूह सी प्रतीत होती है। यहाँ दर्शाई गयी घटनाएं पढ़कर आपको लगेगा कि इससे मिलती-जुलती कहानी कभी न कभी आप अख़बार या किसी वेबसाइट पर पढ़ चुके हैं। यह एक तरफ जहाँ बॉलीवुड के अदाकारों का उन्मुक्त यौन जीवन दिखलाती है वहीं कामिनी और दूसरी अदाकाराओं  के रूप में उनके अकेलेपन और उनके डर को भी दर्शाती है। इस डर से उभरने के लिए वह किस तरह नशे और सेक्स का सहारा लेती हैं और इसका उनके जीवन पर क्या असर होता है यहाँ ये भी दर्शाया गया है। लेखक ने भले ही रचना में नाम बदल दिए हैं लेकिन इसे पढ़ते-पढ़ते बरबस ही आपके जहन में उन कलाकारों के नाम आ जाते हैं जिनके जीवन में घटित घटनाओं से प्रेरणा लेकर इस रचना के कुछ नोट्स को लिखा गया है। लेखक रवि बुले चूँकि खुद एक जाने माने फिल्म पत्रकार रहे हैं तो हो सकता है उन्होंने अपने कार्य के चलते अर्जित अनुभवों को भी इधर दर्ज किया है।

बॉलीवुड एक ऐसी जगह है जहाँ शादी के बाहर के रिश्तों के लिए बड़ी आसानी से जगह बन जाती है। खूबसूरत लोग घंटों घंटों एक साथ काम करते हैं। कई कई दिनों तक साथ में शूट की लोकेशन्स में रहते हैं। वह फिल्मों की पटकथा के चलते ऐसे ऐसे सीन फिल्माते हैं कि उनके बीच आकर्षण का पनपना आम बात है। यही कारण है कि यहाँ शादियों के पैमाने अलग तरह के होते हैं।  ऐसी ही एक शादी का चित्रण लेखक इधर करते हैं। साबिर और कामिनी की शादी एक ओपन मैरिज है जहाँ वह एक दूसरे को किसी के साथ भी यौन सम्बन्ध बनाने की छूट देते हैं। लेकिन जिस्मानी सम्बन्ध बनाते बनाते कई बार व्यक्ति का भावनात्मक सम्बन्ध बन जाना प्राकृतिक होता है। ऐसे में शादी फिर चाहे वह ओपन मैरिज ही क्यों न हो जल्द ही टूट भी जाती हैं। यही साबिर और कामिनी के साथ होता है।

इनमें कौन सही है और कौन गलत यह कहना मुश्किल ही है। यह एक जीवन शैली है जिससे भली भाँति वाकिफ होने के बाद ही लोग इसमें दाखिल होते हैं। ऐसे में इसके उजले और अँधेरे दोनों पक्षों को उन्हें जीना होता है। हाँ,पढ़ते हुए कई बार लगता है कि अगर साबिर कामिनी को एक्टिंग करने देता तो क्या तब भी इनकी शादी टूटती? हो सकता है टूटती या ऐसे ही हो सकता है कि न भी टूटती क्योंकि कामिनी को वह अकेलापन और अधूरापन तब इतना नहीं सालता क्योंकि वह अपने काम में व्यस्त रहती। 

उपन्यासिका की कमियों की बात करूँ तो कभी-कभी इसके किरदारों के बीच दर्शाया गया उन्मुक्त यौन जीवन कल्पना की उपज लग सकता है लेकिन मुझे लगता है भले ही इसमें कल्पना का कुछ तड़का जरूर लगा हो लेकिन यथार्थ का कुछ हिस्सा भी इधर मौजूद है। वहीं चूँकि यह एक उपन्यासिका है और नोट्स के रूप में लिखी गयी हैं तो किरदारों को गढ़ने का पूरा पूरा मौका लेखक को नहीं मिलता है। ज्यादातर किरदारों को एक एक पंक्ति में दर्शाया गया है जिससे यह किरदार एक आयामी प्रतीत होते है। अगर यह उपन्यास होता तो शायद इन किरदारों को ज्यादा जगह मिलती और किरदार बहुआयामी बनते। उपन्यासिका का अंत भी मुझे थोड़ा अजीब लगा।  ऐसा लगा कि कामिनी ने दोबारा अपने लिए शायद उसी जीवन के अलग संस्करण का फिर से चुनाव कर दिया था। रचना जहाँ पर अंत होती है उसके कुछ वर्षों बाद के कामिनी के जीवन की झलक अगर लेखक दे पाते तो मुझे लगता है अच्छा होता। इससे कम से कम पता लगता कि उसने अपनी जिंदगी में कुछ बदलाव किये या फिर वही जिंदगी दोबारा जीने लगी।

अंत में यही कहूँगा कि यह एक पठनीय उपन्यासिका है जिसे एक बार पढ़ा जा सकता है। हाँ, रचना के पात्रों के बीच जिस तरह का उन्मुक्त यौनाचार दर्शाया गया है, वह अश्लील तो नहीं है, लेकिन कई लोगों को विचलित कर सकता है। अगर आपको उससे दिक्कत महसूस होती है तो दूर रहें लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो एक बार पढ़ सकते हैं। मैं श्रृंखला की दूसरी कहानियों को जरूर पढ़ना चाहूँगा। 

उपन्यासिका जगरनोट एप्लीकेशन पर उपलब्ध है और आप वहाँ से इसे पढ़ सकते हैं। 

किताब लिंक: ई-बुक


©विकास नैनवाल 'अंजान'

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4 Comments
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  1. पुस्तक की गुणवत्ता का पता तो उसे पढ़कर ही चल सकता है विकास जी लेकिन आपकी समीक्षा की गुणवत्ता उच्च है। पूर्णतः वस्तुनिष्ठता एवं निष्पक्षता से मूल्यांकन किया है आपने।

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    1. लेख आपको रुचिकर लगा यह जानकर अच्छा लगा,जितेंद्र जी। आभार।

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  2. बहुत सुंदर समीक्षा

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