नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

आज का उद्धरण

हिन्दी कोट्स | विनोदकुमार शुक्ल

उपन्यास का ऐसा है, आप लम्बे समय तक किसी कथानक से जुड़े रहते हैं। उसका साथ बिना छोड़े। चाहे आपको लगे कि वह आपका साथ छोड़ने वाला है, फिर भी उसे अपने से छूटने न देना, एक अटूट बन्धन में बने रहने का प्रयास करना पड़ता है, तब जाकर वह उपन्यास बनता है। उपन्यास में कुछ सूत्र अवश्य होते हैं। कहानी बहुत कम समय के लिए आपके साथ होती है। कविता का मामला इसके विपरीत है। कविता लिखना बहुत मुश्किल है। मेरा अनुभव है कि गद्य लिखते लिखते कविता सूझ सकती है। 'गद्य एक बहाना है कविता लिखने का....' गद्य लिखना यानी लगभग ऊबड़-खाबड़ सड़क पर चलना। मगर कविता में अचानक गहराई आ जाती है। कम से कम शब्दों में आप स्वयं को अधिकाधिक अभिव्यक्त कर सकते हैं। कविता लिखना यानी एक तरह की लुका-छिपी खेलना है। गद्य में ऐसा नहीं होता। कभी कभी तो कविता किसी बिन बुलाये मेहमान की तरह चली आती है। ऐसा लगता है कि कोई आया है और दरवाजा खोलने जाओ तो दिखाई देता है, अरे यह तो कविता है। उदाहरणार्थ, कोई कविता मुझे लिखनी है और अगर मैंने उसे अभी नहीं लिखा और बाद में कभी लिखा तो वह दूसरी कविता बन जाएगी। 

- विनोदकुमार शुक्ल (नया ज्ञानोदय में फरवरी 2020 में प्रकाशित साराम लोमटे के लेख आकाश धरती को खटखटाता है से )

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6 Comments
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  1. आपका ब्लॉग आकर्षणीय व अपने आप में जैसे पृष्ठों पर तैरता सा वाचनालय है, विभिन्न किताबों की समीक्षा मुग्ध करती है, शुभकामनाओं सह।

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    1. जी ब्लॉग आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार।

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