समय बदला है तो सत्य के गुण-ग्राहक भी बदले हैं। ग्राहकों की पसंद भी बदली हैं और उनका स्वभाव भी। उन्हें तो कई तरह के सच चाहिए यानी सच की वैरायटी चाहिए, ताकि वे अपनी पसंद के सच को चुन सकें। उनका सौन्दर्यबोध परिष्कृत हुआ है इसलिए अब उसे असुन्दर और कुरूप सच नहीं चाहिए।
सत्य उत्पादन के पवित्र कर्म में जुटे मीडिया ने इन तमाम चीजों को ध्यान में रखा है। वह ढेर सारे सच बनाने लगा है और उनको आकर्षक पैकिंग में उपलब्ध करवाने लगा है। उसकी दुकान पर काँग्रेस वाला सच भी मिलेगा और बीजेपी वाला भी। मोदी वाला भी और ट्रम्प वाला भी। वो बहुत प्रोफेशनल ढंग से काम करता है। ऐसे सच नहीं बेचता जिससे समाज का फायदा हो और उसको नुकसान हो जाए।
- मुकेश कुमार, सत्य देखने का रंगीन चश्मा (नया ज्ञानोदय फरवरी 2020 में प्रकाशित )
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बहुत सुन्दर सन्देश।
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महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जी आभार... आपको भी महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ.....
Deleteमंगलपर्व की शुभकामनाएं
ReplyDeleteजी आभार...आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ...
Deleteबहुत सही भाई विकास जी । साझा करने के लिए आभार आपका ।
ReplyDeleteजी आभार....
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