नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

किताब परिचय: द ग्रेट सोशल मीडिया ट्रायल

पुस्तक परिचय:

किताब परिचय: द ग्रेट सोशल मीडिया ट्रायल

कपिल माथुर एक सिंगल फादर था, जिसका हर मिडिल क्लास पैरेंट की तरह एक ही सपना था... अपने टीनएज बेटे अविनाश को हर वो ख़ुशी देना जिसका वो हक़दार था। एक मामूली टीचर रहे कपिल माथुर की कोल्हू के बैल की तरह गोल गोल घूमती सुव्यवस्थित जिन्दगी में तब हलचल मच गयी, जब एक लड़की ने सोशल मीडिया पर लिखी पोस्ट में उसके बेटे, अविनाश पर बदफेली करने की धमकी देने का आरोप लगाया।

फिर शुरू हुआ अविनाश का द ग्रेट सोशल मीडिया ट्रायल।

आज के वर्चुअल वर्ल्ड में जज, ज्यूरी और एक्जिक्यूश्नर का रोल निभा रहे इस पैरलल जस्टिस सिस्टम का ताज़ा शिकार बना अविनाश माथुर, जहाँ मुल्ज़िम की सफाई भी नहीं सुनी जाती...सिर्फ सजा सुनाई जाती है।

ये वो कबीलाई भेड़िये थे जो देखने में सभ्य, प्यारे होते हैं लेकिन मौका पड़ते ही झुण्ड बनाकर शिकार को नन्हें घाव करके मारने में गुरेज नहीं करते।

फ़ौरन इन्साफ मांगने वाले इस सिस्टम ने अविनाश और कपिल माथुर के साथ साथ देश के कई और कोनों में भी तमाम जिन्दगियां हिलाकर रख दीं।

क्या अविनाश माथुर वाकई निर्दोष था?

अविनाश माथुर को द ग्रेट सोशल मीडिया ट्रायल ने क्या सजा सुनाई?

क्या कपिल माथुर इन्साफ के इस इकतरफा झुके पलड़े को अपने वश में कर पाया?

जानने के लिए पढ़िए आज के दौर का सबसे चर्चित सोशल क्राइम सस्पेंस थ्रिलर, ‘द ग्रेट सोशल मीडिया ट्रायल’... एक ऐसे अभूतपूर्व न्याय की कहानी जो आज से पहले कभी नहीं कही गयी।

किताब लिंक: किंडल

यह भी पढ़ें: उपन्यास द ग्रेट सोशल मीडिया ट्रायल के लेखक गौरव कुमार निगम से एक छोटी सी बातचीत 

लेखक परिचय:

उपन्यास द सोशल मीडिया ट्रायल के लेखक गौरव कुमार निगम से एक छोटा सा साक्षात्कार

गौरव कुमार निगम पेशे से एक ब्रांड और बिज़नस मैनेजर हैं। मार्केटिंग और वित्तीय प्रबंध में मास्टर् ऑफ़ बिज़नस मैनेजमेंट करने के बाद रिलायंस इंडस्ट्री में सेल्स प्रबंधक के तौर पर कार्य किया। बाद में लखनऊ के मशहूर प्रबंधन कॉलेज में विज्ञापन और ब्रांड प्रबंधन की फैकल्टी के रूप के कई वर्षों तक कार्य किया।

ब्रांड मैनेजमेंट के विषय पर टॉपसेलिंग रही किताब ‘The Brand Sutras’ का लेखन (अमेज़न पर उपलब्ध)। मशहूर थ्रिलर उपन्यास ‘द स्कैंडल इन लखनऊ’ का लेखन। श्रेष्ठ कहानियों का कहानी संग्रह ‘कहानियों के दस्तख़त’ हिंदी की सर्वाधिक चर्चित प्रकाशन से शीघ्र प्रकाशित।

अपनी किस्सागोई के फन के लिए हिन्दी भाषा संस्थान, उत्तर प्रदेश से पुरस्कृत और वेस्टलैंड पब्लिकेशन के शार्ट क्राइम फिक्शन राइटिंग कम्पटीशन के प्रथम पुरस्कार विजेता।

ब्रांड, बिज़नस और विज्ञापन प्रबंधन के विषय पर आलेख नियमित रूप से विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे हैं।

संपर्क : authorgauravnigam@gmail.com 


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10 Comments
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  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (24-03-2021) को   "रंगभरी एकादशी की हार्दिक शुफकामनाएँ"   (चर्चा अंक 4015)   पर भी होगी। 
    --   
    मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --  

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    1. पोस्ट को चर्चा अंक में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार....

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  2. बहुत सुन्दर पोस्ट । निगम जी के दोनों बुक्स अवश्य पढ़ूंगी । आपका बहुत बहुत आभार🙏 बुक्स पढ़ने के लिए आपसी मिली जानकारी मेरे लिए बहुत उपयोगी रही ।

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    1. आभार मैम। मौका लगे तो पढ़ियेगा।

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    2. कृपया *आपसे* मिली जानकारी पढ़ें🙏

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  3. अच्छी किताब होगी! --ब्रजेंद्रनाथ

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  4. रोचक है ट्रायल पुस्तक पढ़ने को आकर्षित करता।
    सुंदर विवरण देती पोस्ट।
    निगम जी को पुस्तक के लिए और नैनवाल जी को सटीक समालोचना, दोनो को अनंत बधाई।

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    1. आभार मैम। मैंने तो अभी फिलहाल किताब परिचय ही करवाया है।

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