नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

प्रसिद्ध साहित्यकार कवि मंगलेश डबराल का निधन

मंगलेश डबराल - कवि , साहित्यकार

प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि मंगलेश डबराल का हृदयगति रुकने से निधन हो गया है। वे कोविड 19 से संक्रमित थे और गाज़ियाबाद के एक प्राइवेट अस्पताल से अपना इलाज करा रहे थे। वे 72 वर्ष के थे।

मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई 1948 को टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड के काफलपानी गाँव में हुआ और उनकी शिक्षा दीक्षा देहरादून से हुई थी। दिल्ली आकर हदी पेट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद में भोपाल में भारत भवन से प्रकाशित होने वाले पूर्वग्रह में सहायक संपादक हुए। इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की। सन् 1983 में जनसत्ता अखबार में साहित्य संपादक का पद सँभाला। कुछ समय सहारा समय में संपादन कार्य करने के बाद आजकल वे नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े थे।

मंगलेश डबराल अपने समय के सबसे चर्चित कवियों में से एक थे। मंगलेश डबराल के 5 काव्य संग्रह: 'पहाड़ पर लालटेन', 'घर का रास्ता', 'हम जो देखते हैं', 'आवाज भी एक जगह है' और 'नये युग में शत्रु' प्रकाशित हुए हैं।  इसके अतिरिक्त इनके दो गद्य संग्रह 'लेखक की रोटी' और 'कवि का अकेलापन' के साथ ही एक यात्रावृत्त 'एक बार आयोवा' भी प्रकाशित हो चुके हैं। वे समाज, संगीत, सिनेमा और कला पर समीक्षात्मक लेखन भी करते रहे हैं। उन्होंने बेर्टोल्ट ब्रेश्ट, हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर, यानिस रित्सोस, जि़्बग्नीयेव हेर्बेत, तादेऊष रूज़ेविच, पाब्लो नेरूदा, एर्नेस्तो कार्देनाल, डोरा गाबे आदि की कविताओं का अंग्रेज़ी से अनुवाद किया है। वे बांग्ला कवि नबारुण भट्टाचार्य के संग्रह ‘यह मृत्यु उपत्यका नहीं है मेरा देश’ के सह-अनुवादक भी हैं। उन्होंने नागार्जुन, निर्मल वर्मा, महाश्वेता देवी, उ र अनंतमूर्ति, गुरदयाल सिंह, कुर्रतुल-ऐन हैदर जैसे कृती साहित्यकारों पर वृत्तचित्रों के लिए पटकथा लेखन किया है।

बता दें मंगलेश डबराल को अपने कविता संकलन 'हम जो देखते हैं' के लिए वर्ष 2000 में साहित्य अकादेमी सम्मान भी दिया गया था। उन्हें ओम् प्रकाश स्मृति सम्मान, शमशेर सम्मान, पहल सम्मान, हिंदी अकादेमी दिल्ली का साहित्यकार सम्मान और कुमार विकल स्मृति सम्मान आदि भी प्राप्त हुए हैं।  मंगलेश डबराल की कविताओं भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंगे्रशी, रूसी, जर्मन, स्पानी, पोल्स्की और बल्गारी भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं।  

 विकास नैनवाल 'अंजान'

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9 Comments
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  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 11-12-2020) को "दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली" (चर्चा अंक- 3912) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
    धन्यवाद.

    "मीना भारद्वाज"

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  2. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे🙏

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  3. कवि मंगलेश डबराल जी को नमन
    विनम्र श्रद्धांजलि

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  4. अपूर्णीय क्षति....
    विनम्र श्रद्धांजलि
    🙏🙏🙏

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  5. नमन एवं श्रद्धांजली कवि मंगलेश डबराल जी को...

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  6. मंगलेश डबराल जी पर जानकारी युक्त पोस्ट ,सच्ची श्रृद्धांजलि।
    भाव पुष्प अर्पित करती हूं।
    सादर।

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