नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

किताब परिचय: हॉरर स्टोरीज

किताब के विषय में

हॉरर स्टोरीज - कहानी संग्रह

नोट: यह संग्रह मेरा पहला प्रकाशित साझा संकलन है। संग्रह में मेरी कहानी सयाली को भी स्थान दिया गया है जिसके लिए मैं अर्चना पब्लिकेशन का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।

डर, खौफ या भय एक ऐसा शब्द है जिससे हमारा सामना बचपन से होता रहा है। अँधेरे से डर, किसी अनजाने माहौल से डर, जंगली जीवों से डर और ऐसे ही कई असंख्य डरों से हमारा सामना होता रहा है। एक तरफ तो यह डर हमे कोई भी कार्य करने से रोकता है जिससे हमे नुकसान हो लेकिन वहीं दूसरी तरफ यह डर एक तरह के रोमांच का प्रसार भी हमारे भीतर करता है। 


डर से पैदा होने वाले इस रोमांच के प्रति इसी आकर्षण के चलते चार दोस्त मिलकर जब भी कहीं बैठते हैं तो डरावने किस्सों को साझा करने लगते हैं, लोग डरावनी फिल्में देखने जाते हैं और सर्द रात्रि में अपने बिस्तर में दुबके हुए हॉरर कहानियाँ पढ़ने लगते हैं। ड्रेकुला हो या फिर बेताल इनकी जनमानस पर पकड़ देख आप हॉरर के प्रति मनुष्यों के आकर्षण का सहस अंदाजा लगा सकते हैं।

इसी तर्ज पर अर्चना पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित हॉरर स्टोरीज में ऐसी ही 8 हॉरर कहानियों को संग्रहित किया गया है। 

हॉरर स्टोरीस में निम्न कहानियाँ मौजूद हैं:

सयाली - विकास नैनवाल 'अंजान'
रात के बजे जब शशांक अपने पीजी में पहुँचा तो वह पसीने से लथपथ था और डर के मारे उसे प्राण सूख रहे थे। आखिर शशांक क्यों इतना डरा हुआ था? आखिर उसने ऐसा क्या देख लिया था।

होंटेड हाईवे - अटल पैन्यूली
वह सात दोस्त थे जो कि मने फिरने के लिए नैनीताल जाना चाहते थे। लेकिन फिर उन्होंने खुद को उस हाईवे पर पाया जिसके विषय में मशहूर था कि उधर भूतों का साया था। क्या उधर सचमुच भूत थे या यह केवल एक दंत कथा ही थी।

पीर बाबा का प्रेत - देवेन्द्र प्रसाद 
सुनील कुमार को अपनी शादी का निमंत्रण पत्र देने के लिए अपने मामा के घर जाना पड़ रहा था। उसके मामा बंगाल के दुर्गापुर के नजदीक एक गाँव में रहा करता था। सुनील को जब दुर्गापुर स्टेशन में पहुँचने में अत्यधिक रात हो गयी तो उसने सुबह का इन्तजार करने से अच्छा पैदल गाँव जाना समझा।
उसे क्या मालूम था इस यात्रा में उसका किससे सामना होना था?

रास्ता - गिरीश देवांगन
वह दो दोस्त थे जो कि पार्टी करने बीस किलोमीटर दूर जा रहे थे। वैसे तो यह रास्ता उन्होंने एक ही घंटे में पूरा कर देना था लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि उनके होश फाकता हो गये। 

एक अतृप्त जिन्न - अनामिका रत्नेश दुबे 
प्रकाश एक पहलवान था जो कि बच्चों को कुश्ती का प्रशिक्षण दिया करता था। प्रकाश के साथ इन दिनों कुछ अजीब हो रहा था। उसका कहना था कि एक व्यक्ति रोज रात को उसके साथ कुश्ती लड़ता था और उसे तब तक मारता रहता था जब तक कि प्रकाश बेदम होकर हार न मान ले। लेकिन उसके साथ के किसी भी व्यक्ति को उसकी बात पर यकीन न था। हो भी क्यों? आखिर किसी ने भी किसी को आते जाते नहीं देखा था।
क्या यह सब प्रकाश के मन का वहम था या फिर कुछ और?

आगन्तुक - प्रज्ञा तिवारी 
वह घर में अकेली थी और बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी कि तभी घर की घंटी बजी। बाहर कोई था। कोई ऐसा जिसे नहीं होना चाहिए था।

भूत की आत्मकथा - नृपेन्द्र शर्मा 'सागर'

एक लेखक पार्क में बैठा अपने लेखन लिए कोई विषय सोच रहा था कि अचानक किसी ने उसे टोका। कोई था जो उससे अपनी आत्मकथा लिखवाना चाहता था। बस इसमें छोटा सा पेंच था। यह कोई एक मृतात्मा थी। आखिर क्या थी इस मृतात्मा की कहानी?

राज़ - सुजीत कुमार 
राज को राज रखने में ही भलाई होती है। अमित को यह बात पता नहीं थी। वह जल्द ही इस बात से वाकिफ होने वाला था। आखिर अमित ऐसा क्या राज जानता था?


यह संग्रह आप निम्न लिंक से मँगवा सकते हैं:
हॉरर स्टोरीज


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नोट: 'किताब परिचय' एक बुक जर्नल की एक पहल है जिसके अंतर्गत हम नव प्रकाशित रोचक पुस्तकों से आपका परिचय करवाने का प्रयास करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी पुस्तक को भी इस पहल के अंतर्गत फीचर किया जाए तो आप निम्न ईमेल आई डी के माध्यम से हमसे सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं:

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8 Comments
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  1. आपको बधाई और शुभकामनाएँ🙏🙏
    अर्चना प्रकाशन ने मुझसे भी कॉन्टेक्ट किया था, मगर लोकडाउन चल रहा था और मुझे लगा मैं तैयार नही हूँ, इसलिए पुस्तक प्रकाशित नही करवाई। ऐसे मुझे डाउट भी था कि ये असली के प्रकाशक है भी या नही?

    कवर आर्ट पर इन्हें काम करना चाहिए....
    भविष्य मौका मिला तो जरूर पढ़ूँगा... ऐसे पढ़ना तो बहुत कुछ है।

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    1. जी पुस्तक के लिए तो मैं भी तैयार नहीं हूँ। हाँ, कहानी मेरे पास काफी पड़ी हुई हैं। anthology वालों को वो पसंद आ जाये तो भेज देता हूँ। इस मामले में भी ऐसा ही है। हाँ, प्रकाशन को अभी काफी काम करने की जरूरत है। उम्मीद है आगे और बेहतर काम करेंगे।

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  2. 8 लेखकों को एक साथ पढ़ना वाकई रोमांचकारी रहा। इस तरह का प्रयास काफी सराहनीय है। भविष्य में इस तरह की पुस्तक मैं और भी पढ़ना चाहूंगा।।

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  3. साझा संकलन के लिए बहुत बहुत बधाई विकास जी । आपके साझा संकलन को लोकप्रियता मिले ...अनन्त शुभकामनाएं ।

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  4. बहुत उपयोगी जानकारी।
    धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

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    1. जी आभार सर। आपको भी धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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