नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

फेमस फाइव और ख़ुफ़िया रास्ता - एनिड ब्लाइटन

 उपन्यास नवम्बर 4 से नवम्बर 6 2020 के बीच पढ़ी गयी 

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 236 | प्रकाशक: मंजुल | अनुवाद: डॉ सुधीर दीक्षित, रजनी दीक्षित |  श्रृंखला: फेमस फाइव #2


फेमस फाइव और ख़ुफ़िया रास्ता  - एनिड ब्लाइटन


कहानी:
जॉर्ज, टिम, एन, जूलियन और डिक क्रिसमस की छुट्टियों के लिए एक बार फिर किरिन कॉटेज पहुँच गये थे। उनका इरादा खूब मस्ती करने का था लेकिन उस इरादे पर पानी तब फिर गया जब उन्हें पता लगा कि उनके अभिभावकों ने उनके लिए एक शिक्षक की व्यवस्था की थी जो कि इन छुट्टियों में उन्हें पढ़ाने वाला था। सभी बच्चों को लगने लगा कि इस बार की छुट्टियाँ नीरस होने वाली है। 
लेकिन फिर किरिन कॉटेज और किरिन फार्म में कुछ ऐसा हुआ जिसने उनकी इन छुट्टियों बेहद रोमांचक बना दिया। 

आखिर किरिन कॉटेज और किरिन फार्म में ऐसा क्या हुआ जिसने बच्चों की नीरस छुट्टियों को रोमांचक बना दिया। 
इन घटनाओं से बच्चों की यह टोली किस प्रकार निपटी?

मुख्य किरदार:
जॉर्ज - एक ग्यारह साल की लड़की
टिमोथी - जोर्ज का कुत्ता
फैनी - जोर्ज की माता
क्वेंटिन - जोर्ज के पिता
जोआना - कुक जो कि फैनी और क्वेंटिन के घर किरिन कॉटेज में रहती थी
एन, जूलियन और डिक - जोर्ज के चचेरे भाई बहन
मिस्टर रोलैंड - एक शिक्षक जो कि फेमस फाइव को गर्मियों की छुट्टियों में पढ़ाने वाले थे
मिस्टर और मिसेज सैंडर्स - किरिन कॉटेज में रहने वाले दम्पति
थॉमस और विल्टन - किरिन कॉटेज में रहने आये पेंटर

मेरे विचार:

फेमस फाइव और ख़ुफ़िया रास्ता एनिड ब्लाइटन द्वारा रचित फेमस फाइव श्रृंखला का दूसरा उपन्यास है। इस उपन्यास को भी डॉक्टर सुधीर दीक्षित और रजनी दीक्षित ने हिन्दी में अनूदित किया है। 

अनुवाद में एक ही बात जो मुझे खटकी वह यह थी इधर अंग्रेजी की कहावतों का ज्यों का त्यों अनुवाद हुआ है। जैसे 'बिजी एस अ बी' को  'मधुमक्खियों की तरह व्यस्त हो' के रूप में अनूदित किया है। इधर सीधे हिन्दी अनुवाद न करके या तो इसका अर्थ दिया जाता या इसकी जगह कोई हिन्दी की कहावत का प्रयोग किया जाता तो मेरे हिसाब से बेहतर होता। यही बात दो तीन और कहावतों के लिए मैंने नोट की थी। इस छोटी सी बात को छोड़कर पूरा अनुवाद बेहतरीन है और पढ़ते हुए कहीं भी ऐसा नहीं लगता है कि आप किसी अनुवाद को पढ़ रहे हैं।

उपन्यास के कथानक पर आयें तो इस उपन्यास का घटनाक्रम भी पिछले उपन्यास की तरह किरिन कॉटेज के इर्द गिर्द घटित होता है। फर्क बस यह है कि पिछले बार जहाँ  यह टोली कॉटेज के अलावा किरिन टापू पर अपने रोमांचक अभियान करती दिखी थी वहीं इस बार इस टोली ने किरिन फार्म में अपने रोमांचक क्रियाकलाप किये हैं।

वैसे जब पिछले उपन्यास फेमस फाइव खजाने के टापू पर में मुझे पता चला था कि जॉर्ज और टिमोथी अब एन के साथ बोर्डिंग स्कूल जायेंगे तो एक बार को मुझे लगा था कि एक कथानक उनके स्कूल के इर्द गिर्द रचा जायेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। हालात कुछ ऐसे बन जाते हैं कि ये टोली खुद को एक बार फिर किरिन कॉटेज पर पाती है जहाँ कथानक का काफी हिस्सा घटित होता है। इस उपन्यास में  किरिन कॉटेज के विषय में और भी रोमांचक और रोचक चीजें पता चलती हैं जिसके कारण पाठक के रूप में किरिन कॉटेज का इतिहास जानने की इच्छा मेरे मन में पैदा हो गयी थी। जॉर्ज के पूर्वज ऐसा क्या करते होंगे कि उन्हें ऐसी चीजों की जरूरत हो गयी। यह बात मैं जानना चाहता था। अगर मैं उस वक्त होता तो लेखिका से इस विषय पर एक अलग सा वयस्कों के लिए उपन्यास लिखने की सिफारिश जरूर करता। अब तो बस इसकी कल्पना ही की जा सकती है।

यह उपन्यास शुरुआत से ही पाठक पर पकड़ बनाकर चलता  है। उपन्यास में बच्चों को ख़ुफ़िया चीजें भी मिलती हैं जो कि उपन्यास में रोमांच भर देते हैं। उपन्यास में चरित्रों के बीच टकराव भी दिखाई देता है जो कि कथानक को और ज्यादा रोचक बना देता है। उपन्यास सत्रह अध्यायों में विभाजित है और सभी में कुछ न कुछ ऐसा होता रहता है कि आप आगे पढ़ते चले जाते हैं। उपन्यास में रहस्य का तत्व भी है लेकिन वह इतना ज्यादा जटिल नहीं है। आपको पता रहता है कि खलनायक कौन होने वाला है लेकिन इससे उपन्यास की रोचकता पर मेरे लिए तो कोई फर्क नहीं पड़ा। 

इस बार फिर जॉर्ज अपने खुर्राट रूप में दिखती है। उसकी अपने शिक्षक से होने वाली नोक झोंक एक तरह की टकराव की स्थिति पैदा करती है और इस टकराव का क्या परिणाम होगा यह जानने के लिए आप उपन्यास पढ़ते चले जाते हैं। जॉर्ज के बाद जिस किरदार ने मेरा दिल जीता वह टिम था। यहाँ इतना ही कहूँगा कि टिम जैसा दोस्त पाने की इच्छा बचपन में हर बच्चा करता है। 

इन उपन्यासों में एन का किरदार भी मुझे रोचक लगता है। जहाँ जॉर्ज दोस्त सरीखी लगती है वहीं एन ऐसी छोटी बहन जैसी लगती है जिसे आप हर दम बचाना चाहोगे। उसकी गलतियाँ बरबस ही मेरे चेहरे पर मुस्कान ला जाती हैं। जूलियन कई बार बड़े भाई जैसी धौंस जमाते दिखता है लेकिन वह जिम्मेदार है तो अपनी जिम्मेदारी समझता है। वहीं डिक ज्यादा दोस्ताना लगता है। बचपन में मैं इन लोगों से मिलता तो इनसे दोस्ती जरूर करना चाहता। 

पिछले उपन्यास के तरह इस बार भी जॉर्ज और टिम बाकी किरदारों से उभर कर आते हैं और मुझे यह पसंद आया। वैसे भी मुझे जॉर्ज का किरदार पसंद है क्योंकि हम दोनों ही जिद्दी स्वभाव के है। हाँ, मुझे यह मानने में कोई शर्म नहीं है कि जॉर्ज जिद्द के मामले में मुझसे  बीस क्या तीस ही होगी। हाँ, मुझे यह उम्मीद रहेगी कि अगले उपन्यासों में एन, जूलियन और डिक को भी उभारा गया होगा ताकि वो मुख्य किरदार लगें। जब आप कई मुख्य किरदारों को साथ लेकर कुछ लिखते हैं तो ऐसे कथानक बुनने का आपके पास विकल्प होता है। हर उपन्यास में आपका नायक टीम का एक अलग सदस्य बनाया जा सकता है। इससे पाठकों का भी मनोरंजन होता है।

वैसे तो उपन्यास में (ऊपर अनुवाद वाली छोटी सी बात को छोड़कर )कोई कमी मुझे नहीं लगी। अगर फिर भी ढूँढना हो तो बस इतना ही कहूँगा कि उपन्यास में इस बार के खलनायक पिछले वालों से कम खतरनाक लगे। यह खतरा थोड़ा और ज्यादा होता तो कथानक और रोमांचक बन सकता था लेकिन फिर भी मुझे इससे शिकायत नहीं है। यह तो बाल की खाल निकालने वाली बात मैंने की है कि कुछ कमी बतानी है तो बता ही दो।

अंत में मैं तो यही कहूँगा कि फेमस फाइव और ख़ुफ़िया रास्ता ने मेरा भरपूर मनोरंजन किया। मैं जल्द ही इस टोली से दोबारा मिलने की कोशिश करूँगा। अगर आपने इस नहीं पढ़ा है तो एक बार पढ़कर देखिये। घर में बच्चे हैं तो उन्हें यह किताब जरूर दीजिये। मुझे यकीन है उन्हें फेमस फाइव से मिलना अच्छा लगेगा।


अगर आपने इस उपन्यास को पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

उपन्यास का छोटा सा हिस्सा मैंने अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया है। आप उसे निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
पुस्तक अंश: फेमस फाइव और ख़ुफ़िया रास्ता

किताब आप निम्न लिंक से जाकर मँगवा सकते हैं:
पेपरबैक- हिन्दी | किंडल - इंग्लिश | पेपरबैक- इंग्लिश

फेमस फाइव श्रृंखला के अन्य उपन्यासों के प्रति मेरी राय:
फेमस फाइव

एनिड ब्लाइटन की अन्य पुस्तकों के विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
एनिड ब्लाइटन

© विकास नैनवाल 'अंजान'



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4 Comments
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  1. बहुत अच्छी समीक्षा विकास भाई. इस पुस्तक को अवश्य पढ़ूंगा. बचपन के दिन याद आ गये.

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    Replies
    1. जी आभार!! मौका लगे तो जरूर पढ़िएगा....

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  2. बहुत अच्छी समीक्षा

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