नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

September 2020 Reads

अक्टूबर आये हुए एक हफ्ता गुजर चुका है। मौसम में ठंडक बढ़ गयी है और मुझे अच्छा लगने लगा है। मुझे ठंड का मौसम बहुत पसंद है पर यह पोस्ट ठंड के विषय में मेरे प्रेम को लेकर नहीं है यह तो आप शीर्षक से समझ ही गये होंगे।

चूँकि सितम्बर का महीना समाप्त हो चुका है और अक्टूबर चल रहा है तो यह गुजरे महीने में पढ़ी गयी किताबों के विषय में संक्षिप्त ब्यौरा देने का वक्त भी है। तो चलिए बिना ज्यादा वक्त जाया किये सीधे मुद्दे पर आते हैं।

सितम्बर 2020 में पढ़ी गयी किताबों की बात करूँ तो इस महीने मैंने कुल 9 रचनाएँ पढ़ीं जो कि अगस्त 2020 में पढ़ी गयी रचनाओं से एक रचना ज्यादा है। यानी पढ़ना अगस्त के महीने अच्छा ही हुआ। चूँकि अगस्त में मैंने जून जुलाई के मुकाबले ज्यादा पढ़ा था तो जाहिर सी बात है कि उन महीनों के मुकाबले भी बेहतर था लेकिन अगर गुजरे महीनों  का औसत निकालता हूँ,जो कि नौ से थोड़ा सा ज्यादा है, तो उनसे यह थोड़ा सा कम था। फिर भी मैं संतुष्ट हूँ।

इस महीने मैंने तीन उपन्यास, एक कॉमिक बुक, एक ग्राफ़िक नावेल, एक उपन्यासिका, एक लघु-उपन्यास और दो कहानियाँ पढ़ीं। 

भाषा के हिसाब से देखें तो तीन रचनाएँ अंग्रेजी की पढ़ीं और बाकी की छः रचनाएँ हिन्दी की पढ़ीं।

अगर किताब के फॉर्मेट की बात करें तो सितम्बर के महीने पाँच रचनाएँ पेपरबैक थीं और चार रचनाएँ ई-बुक थीं। जब ई-बुक की बारी आती है तो मैं कई जगह जैसे जगरनॉट, डेली हंट और किंडल से ई-बुक पढ़ना पसंद करता हूँ। सितम्बर के महीने में मैंने चार ई बुक जो पढ़ीं उनमें से दो तो डेलीहंट में पहले की खरीदी हुई थीं और दो किंडल में मौजूद ई-किताबें थीं।

अब आप सोच रहे होंगे कि यह किताबें कौन सी थीं तो चलिए अब सितम्बर के महीने पढ़ी गयी रचनाओं का ब्यौरा देखते हैं। मैं जो रचनाएँ पढ़ीं थी वो निम्न हैं: 

सितम्बर 2020 में पढ़ी गयी किताबें



एक करोड़ की बोतल -  कृश्न चन्दर 

कई बार जब हमारे पास धन सम्पदा नहीं होती है तो हमें बस यही लगने लगता है कि हमारी सारी दिक्कतों का हल धन है। हम यही सोचते रहते है कि अगर हमारे पास धन होता तो हम इन समस्याओं से जूझ नहीं रहे होते और हमारा जीवन सुखमय होता। पर क्या ऐसा सच में होता है? रंजीत और उसकी प्रेमिका को भी यही लगता था लेकिन फिर एक दिन उनके पास एक बोतल आई और साथ में आई एक करोड़ की दौलत। इस दौलत के आने से इनके जीवन में क्या प्रभाव आया यही इस उपन्यास का कथानक बनता है।

कृश्न चन्दर ने इस उपन्यास से समाज के कई पहलू दिखाएं हैं।  उपन्यास पठनीय है और अंत तक आपकी रूचि इसमें बनी रहती है। हाँ, उपन्यास का अंत जिस तरह से हुआ वह थोड़ा निराशाजनक था। अंत बेहतर हो सकता था।

उपन्यास निम्न लिंक्स के माध्यम से खरीदा जा सकता है:
पेपरबैक

द मार्क - वाट मॉर्गन 

वाट मोर्गन द्वारा रचित द मार्क एक लम्बी कहानी है। यह कहानी दो दोस्तों मोनीन और जोजा को केंद्र में लेकर लिखी गयी है। तन्त्र मन्त्र के इर्द गिर्द रची गयी यह कहानी रोचक है और अंत तक आपको बाँध कर रखती है। कहानी अंग्रजी में है।

कहानी के प्रति मेरा विस्तृत लेख आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
द मार्क

कहानी निम्न लिंक के माध्यम से खरीदी जा सकती है:
किंडल

डार्क हन्टर्स वॉल्यूम 1

डार्क हन्टर्स  वॉल्यूम 1 एक मांगा ग्राफ़िक नावेल है। मांगा जापानीज कॉमिक बुक होती हैं जिसमें एक विशेष तरह का आर्टवर्क होता है और इसे दायें से बायें पढ़ा जाता है।

डार्क हन्टर्स की कहानी यूनानी मिथकों के चारों ओर बुनी गयी है। इसमें वैम्पायर हैं लेकिन उनका एक अलग ही रूप आपको देखने को मिलता है। कॉमिक बुक मुझे पसंद आई। कहानी एक डार्क हंटर, ऐसे जीव जो वैम्पायर की तरह अमर होते हैं लेकिन इनसानी खून नहीं पीते हैं, कीरियन और एक लड़की अमान्डा की है। अमान्डा का परिवार परालौकिक शक्तियों के बीच रहता है। उसकी बहने मन्त्र कर सकती है, उसकी एक बहन वैम्पायर को मारने का काम करती  है लेकिन अमान्डा की इच्छा एक आम जीवन जीने की है। उसका यह जीवन तब बदलता है जब उसके जीवन में कीरियन दाखिल होता है। कीरियन के आने से आगे क्या होता है यही कथानक है। कॉमिक बुक मुझे पसंद आई। दोनों ही किरदार रोचक हैं और कहानी में रोमांच और एक्शन अंत तक बना रहता है। यह कॉमिक बुक एक उपन्यास पर आधारित थी और अब मुझे डार्क हंटरों की दुनिया को लेकर लिखे गये उपन्यास पढ़ने का मन करने लगा है। जल्द ही उन्हें पढूँगा। 

कॉमिक के प्रति मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
डार्क हन्टर्स वॉल्यूम 1

ग्राफ़िक नावेल आप निम्न लिंक पर जाकर खरीद सकते हैं:
Kindle पेपरबैक

विराट 3

विराट 3 विराट श्रृंखला का कॉमिक बुक है जो कि भारतीय टी वी धारावाहिक महायोद्धा विराट पर आधारित है।  श्रृंखला के तीसरे कॉमिक में विराट गुरु प्रचण्डदेव की मायावी शक्तियों से जूझता हुआ दिखता है। कॉमिक रोचक है और यह आपका भरपूर मनोरंजन करता है। 

कॉमिक के प्रति मेरी विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
विराट

तड़ीपार - सुरेन्द्र मोहन पाठक 

तड़ीपार सुरेन्द्र मोहन पाठक की थ्रिलर श्रृंखला का उपन्यास है जो कि 1993 में प्रथम बार प्रकाशित हुआ था।

उपन्यास एक तड़ीपार व्यक्ति शरद शुक्ला की कहानी है। शरद शुक्ला तड़ीपार होकर जब बरेली से पटना आया तो ब्रह्मा नाम के व्यक्ति के लिए तस्करी करने लगा था। उपन्यास की कहानी उसके इसी तस्करी के आखिरी फेरे को केंद्र में रखकर लिखी गयी है।

उपन्यास शुरुआत से ही अपनी पकड़ पाठक पर बनाते हुए चलता है। जैसे जैसे उपन्यास आगे बढ़ता जाता है वैसे वैसे उपन्यास में रहस्य जुड़ते जाते हैं। एक रहस्य खुलता है तो दो उसकी जगह ले लेते हैं जो कि आपको कथानक से बाँध कर रखते हैं। यह उपन्यास इसलिए भी ख़ास है इस उपन्यास के केंद्र में तस्करी के अलावा नेपाल की राजनीति भी है। उपन्यास मुझे बहुत पसंद आया।

किताब के प्रति मेरे विस्तृत विचार निम्न लिंक पर जाकर पढ़े जा सकते हैं:
तड़ीपार

किताब निम्न लिंक से खरीदी जा सकती है
Kindle

बदनाम लड़की - विनायक शर्मा

बदनाम लड़की विनायक शर्मा की एक लम्बी कहानी है। अक्सर समाज में लड़कों के लिए अलग मापदंड होते हैं और लड़कियों के लिए अलग। कई बार जो गलती एक लड़के की होती है उसकी सजा लड़की को दी जाती है। 

बदनाम लड़की भी ऐसी ही एक लड़की नीतू की कहानी है जो कि अपने प्रेमी के विश्वासघात का शिकार हुई है। इस कहानी के केंद्र में शेखर है जिसे जब नीतू के विषय में पता चलता है तो वह उसे उसकी खोयी इज्जत लौटाने का निर्णय कर लेता है।

कहानी एक विचारणीय विषय पर लिखी गयी है। यह एक पठनीय कहानी है जिसका अंत और बेहतर हो सकता था। अभी ऐसा लगता है कि लेखक द्वारा आसान रास्ता चुना गया है लेकिन फिर भी कहानी आपको सोचने के लिए काफी कुछ दे जाती है। एक बार पढ़ी जानी चाहिए।

कहानी के प्रति मेरे विचार निम्न लिंक  पर जाकर पढ़े जा सकते हैं:
बदनाम लड़की

यह कहानी विनायक शर्मा के  कहानी संग्रह का हिस्सा है। यह संग्रह निम्न लिंक जाकर खरीदा जा सकता है। कहानी प्रतिलिपि पर मौजूद है। आप उधर जाकर इसे पढ़ सकते हैं:
Kindle प्रतिलिपि


In the Heart of Fire - Dean Koontz

इन द हार्ट ऑफ़ फायर डीन कूंटज की एक उपन्यासिका है। यह नेमलेस श्रृंखला की पहली कड़ी  है जिसमें पाठक नेमलेस से पहली बार रूबरू होता है। नेमलेस का किरदार  मुझे पसंद आया। नेमलेस एक तरह का हिटमैन जो एस नाम के व्यक्ति के लिए कत्ल करता है। अक्सर यह कत्ल उन लोगों का होता है जो कि क़ानून के चंगुल से अपनी पहुँच के कारण बच जाते हैं। नेमलेस के अंदर यह ताकत भी है कि वह भविष्य और भूत देख सकता है और वहीं उसे यह तक याद नहीं है कि वह कौन था। उसे केवल अपने गुजरे हुए दो वर्षों के जीवन के विषय में ही अंदाजा है। यह इस किरदार को मेरे लिए तो रोचक बनाता है। 

जहाँ तक इस उपन्यासिका की बात है तो यह उपन्यासिका मुझे औसत से थोड़ी अच्छी लगी। उपन्यासिका पठनीय है और तेज रफ्तार है। हाँ, एक छोटी सी दिक्कत, जिसके विषय में आप मेरे विस्तृत लेख में पढ़ सकते हैं, ही मुझे इसमें लगी। इस श्रृंखला की अन्य रचनाओं को मैं जरूर पढ़ना चाहूँगा।

कहानी के प्रति मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
In the heart of the fire

किताब निम्न लिंक पर जाकर खरीदी जा सकती है। अगर आप अमेज़न प्राइम के सबस्क्राइबर हैं तो इस रचना को बिना किसी अतिरिक्त मूल्य दिए पढ़ सकते हैं:
Kindle

परख - जैनेन्द्र कुमार

परख जैनेन्द्र कुमार का लिखा लघु-उपन्यास है। यह उपन्यास एक ऐसे व्यक्ति सत्यधन की कहानी है जो कि बहुत सिद्धांतवादी है। वहीं कहानी के केंद्र में एक बाल विधवा कट्टो भी है जो कि सिद्धांत के विषय में ज्यादा जानती तो नहीं है लेकिन फिर भी जब मौका पड़ता है तो वह उसका पालन करने में अच्छे खासे सिधान्त्वादियों को पीछे छोड़ देती है। उपन्यास पढ़ते हुए आप कट्टो से जरूर प्रभावित हो जायेंगे। 

अक्सर जो व्यक्ति ज्यादा सिद्धांत बघारते हैं वो तब तक ही सिद्धांत का गुणगान कर पाते हैं जब तक कोई जटिल परिस्थित उनके समक्ष नहीं आ जाती है। जहाँ कहीं भी ऐसी परिस्थिति आई कि उन्हें कुछ कठिन निर्णय लेने पड़े तो वह उन सिद्धांतों को तिलांजलि देकर किनारे हो जाते हैं। इस उपन्यास में भी हमे ऐसे ही दिखता है। उपन्यास के केंद्र में जितने किरदार हैं उनके सिद्धांतों की परख इसमें होती है और कौन सिद्धांतों पर अडिग रह पाता है और कौन सरल रास्ता चुन पाता है यह तो आप इस लघु-उपन्यास को पढ़कर ही जान पाएंगे।

एक रोचक उपन्यास है। हाँ, अंत थोड़ा दुखांत कहा जा सकता है।

किताब निम्न लिंक पर जाकर खरीदी जा सकती है:

 पेपरबैक

मोना चौधरी खतरे में - अनिल मोहन

मोना चौधरी अनिल मोहन द्वारा रचित किरदारों में देवराज चौहान के बाद सबसे ज्यादा मकबूल किरदार है। मोना एक पेशेवर अपराधी है जो कि पैसे लेकर कुछ भी कार्य करने को तैयार हो जाती है।

इस उपन्यास में भी मोना एक नेता के लिए एक कार्य करने का बीड़ा उठाती है। इस कार्य को करने के लिए उसे किन किन मुसीबतों से गुजरना पड़ता है वह इस उपन्यास में दिखता है। यह एक तेज रफ्तार थ्रिलर है जो कि राजनीति की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। चूँकि इसकी पृष्ठभूमि राजनीति है तो यहाँ राजनेताओं के दोगले चेहरे और उनके आपसी दाँव पेंच भी दिखाए गये है जो कि कथानक में रोमांच बढ़ा देते हैं। 

उपन्यास मुझे बहुत पसंद आया था।

किताब के प्रति मेरे विस्तृत विचार आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
मोना चौधरी खतरे में


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तो यह थी वह किताबें जो मैंने सितम्बर के माह में पढ़ी। क्या आपने इन किताबों में से कोई किताब पढ़ी है? अगर हाँ तो आपको वो कैसी लगी थीं? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।

आपने सितम्बर माह में क्या पढ़ा? अपनी सूची मुझसे जरूर साझा कीजियेगा। आपके विचारों का मुझे इन्तजार रहेगा। 


© विकास नैनवाल 'अंजान'

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2 Comments
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  1. बहुत बढ़िया लिखा विकास भाई।

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    1. पोस्ट आपको पसंद आई यह जानकर अच्छा लगा। आभार।

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