नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

अंकुर मिश्रा से कॉमरेड पर छोटी सी बातचीत

लेखक परिचय:

अंकुर मिश्रा कानपुर उत्तर प्रदेश के हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के पश्चात बैंकिंग क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने का विचार किया। अब वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में वरिष्ठ प्रबन्धक के पद पर कार्यरत हैं। 

उनकी कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। उनका पहला कहानी संग्रह 'द जिंदगी' था जिसे 2018 में सर्व भाषा ट्रस्ट द्वारा 'सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला साहित्य सम्मान 2018' दिया गया। 

कॉमरेड उनका दूसरा कहानी संग्रह है जो कि यश प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है। 

लेखक से आप निम्न माध्यमों के द्वारा सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं:

ईमेल | फेसबुक | इंस्टाग्राम | अमेज़न पेज

उनकी किताबें आप निम्न लिंक पर जाकर खरीद सकते हैं:
द ज़िन्दगी 
कॉमरेड


हाल ही में अंकुर मिश्रा का नया कहानी संग्रह कॉमरेड आया है। इससे पहले 2018 में उनका प्रथम कहानी संग्रह 'द जिंदगी' आया था जिसे पाठकों का भरपूर स्नेह मिला था। कॉमरेड को लेकर 'एक बुक जर्नल' के कुछ प्रश्न थे जिनके उत्तर उन्होंने इस छोटी सी बातचीत में दिए हैं। उम्मीद है यह बातचीत आपको पसंद आयेगी। 


कॉमरेड - अंकुर मिश्रा 

प्रश्न: अंकुर जी,  द जिंदगी के बाद यह आपका दूसरा कहानी संग्रह है।  आपके पहले कहानी संग्रह द जिंदगी में ज़िन्दगी से जुड़ी हुई ऐसी कहानियाँ थी जो हमारे आस पास बिखरी रहती हैं। अब दो साल बाद आपका यह दूसरा संग्रह आया है। यह संग्रह यश प्रकाशन से आ रहा है। क्या आप  इस संग्रह की बनने की कहानी  पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगे?

उत्तर: नमस्कार विकास जी, कॉमरेड की कुछ कहानियाँ the ज़िंदगी की कहानियों से भी पुरानी हैं । ये कहानियाँ भी आस पास की ही हैं एवं आस पास की वैचारिक स्तर पर पड़ताल भी करती हैं । इन कहानियों में सिर्फ आस पास है ऐसा भी नहीं कहा जा सकता, परिस्थितियाँ ही इन कहानियों की नायक/ खलनायक/ नायिका/ खलनायिका हैं । इन कहानियों में रुदन है तो जश्न भी है। बाकी पात्र मुझे खुद अपनी कहानी सुनाते हैं पर पता नहीं क्यों समाप्त नहीं करते....मैंने भी काफी कुछ पाठकों पर छोड़ दिया है। यहां अच्छा बुरा कुछ नहीं है.....सब पाठक तय करेंगे । हाँ, कई कहानियों की जनक घटनाएं आस पास की ही हैं। 

रही प्रकाशन की बात तो जब मैं इस किताब के लिए प्रकाशक की खोज में था तभी यश प्रकाशन ने 'नवलेखन उपक्रम' आरंभ किया जिसमें कि अन्य दो किताबों के साथ 'कॉमरेड' का भी चयन हुआ । इस प्रकार कॉमरेड लैपटॉप से आप सब तक पहुँच रही है।

प्रश्न: संग्रह का शीर्षक कामरेड है जो कि किताब के प्रति उत्सुकता जगाता है। वहीं कॉमरेड शब्द सुनकर मन में राजनीति ही आती है। कुछ इस शीर्षक के विषय में बताएं?

उत्तर: किताब में कुल 11 कहानियां हैं । कॉमरेड प्रथम कहानी है । हमारा कॉमरेड उन कॉमरेड्स से अलग है जिनके बारे में हम, आप सब टी. वी. पर देखते हैं, अखबार में पढ़ते हैं । हमारा कॉमरेड एक ऐसा व्यक्ति है जिसके दिल में अपने साथियों के लिए लड़ने का जज़्बा एवं ललक है....जो अपना भला, बुरा सब भूल कर अपने साथियों के लिए सिस्टम से लड़ता है । ऐसे ही व्यक्ति की कहानी है कॉमरेड।

प्रश्न: वैसे तो लेखक के लिए अपनी सभी रचनाएँ प्रिय होती हैं फिर भी प्रश्न करना चाहूँगा कि इस संग्रह में मौजूद आपकी सबसे प्रिय कहानी कौन सी है? (इसे आप एक लेखक और एक पाठक दोनों के नजरिये से बता सकते हैं।) 

उत्तर: लेखक के नजरिये से - वैसे तो लेखक जो भी लिखता है वो उसकी मानस संतान है एवं संतान सभी अतिशय प्रिय होती हैं । फिर भी चूँकि मैं खुद ट्रेड यूनियन से जुड़ा हूँ एवं ट्रेड यूनियन में बड़े पद पर विराजमान हूँ अतः कॉमरेड कहानी का हीरो मुझे अपने करीब का लगता है। उसकी चेतना, कार्य, विचार श्रृंखला मुझे पसंद है । कहानी 'ऐसे जिये हम तुम' भी मुझे पसंद है। मैं अपने आप को जरा पुराने जमाने का आदमी तकसीम करता हूँ एवं 90's की यादें/बातें मुझे रुमानियत से भर देती हैं सो यह कहानी भी अतिशय करीब है । पाठक के नजरिये से सभी कहानियाँ मुझे पसंद हैं । जो मुझे खुद ना पसंद हो उसे पाठकों के समक्ष रखने का अपराध मैं नहीं कर सकता।

प्रश्न: आपके पहले संग्रह में कहानियों के साथ लघु-कथाएँ भी थी। क्या इस संग्रह में भी लघु-कथाएँ हैं? कहानी और लघु-कथाओं के बीच आपको क्या पसंद है?

उत्तर: इस संग्रह में कहानियाँ ही हैं । मुझे कहानियाँ एवं लघु कहानियाँ दोनों पसंद हैं परंतु शर्त है कि लघुकथा को तीक्ष्ण होना चाहिए । कम शब्दों में अपनी बात कहनी है तो करारा तो होना ही पड़ेगा । एक और महत्वपूर्ण बात है लघुकथाओं में पुनरावृत्ति से बचना चाहिए , कथ्य एवं विषय दोनों मामलों में । कहानियाँ लिखना मेरे लिए ज़िन्दगी लिखना है, सो वर्तमान में वाक़ये ज्यादा लंबे हो गए तो लघुकथाओं से आगे बढ़कर कहानियों की शक़्ल में पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत किये हैं।

प्रश्न: आप फिलहाल किन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं? क्या पाठकों से आप साझा करना चाहेंगे?

उत्तर: वर्तमान में मैं पितामह भीष्म के जीवन पर आधारित एक उपन्यास पर कार्य कर रहा हूँ । रिसर्च कार्य लगभग पूरा हो चुका है, लेखन की प्रक्रिया शुरुआती दौर में है । परंतु इसको पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने में अभी लगभग 2 साल का समय है।


प्रश्न: अंत में अंकुर जी आजकल हम सभी लॉक डाउन में हैं और इसने हम सभी के जीवन पर असर डाला है।   आप इस समय को कैसे देखते हैं? आप पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

उत्तर: समय कठिन है, मैं ऐसे पेशे से जुड़ा हुआ हूँ जो ग्राहक सेवा से सीधे रूप से जुड़ा है ऐसी स्थिति में लगभग प्रत्येक दसवें बारहवें दिन किसी ना किसी के बारे में अप्रिय ख़बर सुनने को मिल ही जाती है । मेरा यही संदेश है कि यथासंभव सुरक्षा मानकों का प्रयोग करें, जितना संभव हो घर पर रहें । सचेत रहें परंतु भयभीत ना हों ।पठन पाठन की प्रक्रिया जारी रखें । हम जल्द ही इस कठिन घड़ी से भी विजयी होकर उभरेंगे।

***

तो यह थी अंकुर मिश्रा जी से उनके नये कहानी संग्रह कॉमरेड यह बातचीत आपको पसंद आई होगी। 

बातचीत के प्रति आपकी राय का इन्तजार रहेगा। 

कॉमरेड के विषय में और जानकारी आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
किताब परिचय: कॉमरेड 

किताब आप निम्न लिंक पर जाकर आर्डर कर सकते हैं:
कॉमरेड


'एक बुक जर्नल' पर मौजूद अन्य साक्षात्कार आप निम्नं लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
साक्षात्कार

© विकास नैनवाल 'अंजान'

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4 Comments
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  1. बढ़िया, नए उपन्यास के लिए बधाई

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    1. जी, शुक्रिया....उम्मीद है यह कहानी संग्रह आपको पसन्द आयेगा....

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  2. बधाई हो।
    उपयोगी जानकारी और वार्तालाप भी।

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