नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

यज्ञा खंड 1: लाइट कैमरा कॉमिक्स

किताब जनवरी, 20 2020 में पढ़ी गयी

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक
पृष्ठ संख्या: 36
प्रकाशक: बुल्सआईज प्रेस
लेखक: नितिन मिश्रा, चित्रांकन: सुशांत पंडा एवं जोहेब मोमिन,रंग सज्जा: नवल थानावाला एवं प्रसाद पटनायक
श्रृखंला: यज्ञा असुर देवी #1

यज्ञा खंड 1: लाइट कैमरा कॉमिक्स
यज्ञा खंड 1: लाइट कैमरा कॉमिक्स

कहानी:

नया साल आने को था और गोवा में इसकी तैयारी होने लगी थी। नये साल में गोवा सैलानियों और नशे से पट जाता है। लोग दूर दराज से मस्ती करने के लिए आते हैं और ड्रग्स इस मस्ती को चार चाँद लगाने के काम आती हैं। लेकिन गोवा की पुलिस इस बात से हैरान थी इस दौरान जब ड्रग माफिया माल लाने और उसे खरीदारों तक पहुँचाने में व्यस्त रहता है उस दौरान एक नया युद्ध गोवा की सड़कों पर छिड़ा हुआ था। ड्रग के धंधे से जुड़े लोग फिर चाहे वो डीलर हो या सप्लायर्स  सब एक एक करके मारे जा रहे थे। गोआ की गलियाँ इनकी लाशों से पटी पड़ी थी। और इस कारण गोआ में एक नये गैंगवार की शुरुआत हो गयी थी।

वहीं गोवा में प्रज्ञा पराशर भी मौजूद थी। प्रज्ञा पराशर जाने माने कॉमिक बुक राइटर प्रतीक पराशर की बेटी थी। प्रज्ञा के पिता ने कभी चाहा था कि भारतीय कॉमिक किरदारों को भी विश्व प्रसिद्धि मिले लेकिन अपने सपने को पूरा करने से पहले ही उनकी मौत हो गयी थी।

प्रज्ञा ने अपने पिता का सपना पूरा करने का बीड़ा तो उठाया था लेकिन कॉमिक बुक इंडस्ट्री के घटते मार्किट के चलते उसको काम मिलना भी बंद हो गया था। उसके पब्लिशर उसे कुछ और काम तलाश करने को कह दिया था।

वही प्रज्ञा कुछ दिनों से किसी दूसरे कारणों से भी परेशान लग रही थी। कुछ दिनों से उसके सपने में ऐसी युवतियाँ आती थी जो कि गोआ के गलियों में रात को निकलती थी और अपना शिकार ढूँढती थी। वह युवकों को रिझाकर उनका रक्त पीती थी।

प्रज्ञा को लगता था कि यह केवल उसका दिन रात किसी नई स्टोरी लाइन के विषय में सोचते रहने का नतीजा था। पर गोआ पुलिस को कुछ ऐसी लाशें भी मिली थी जिन्हें देखकर लगता था कि किसी जानवर ने उन्हें भम्भोड़ा था।

आखिर कौन था गोआ में हो रही गैंग वार के पीछे?
क्या प्रज्ञा अपने पिता का सपना पूरा कर पायी?
आखिर प्रज्ञा को ऐसे विचित्र सपने क्यों आते थे? क्या उसके सपनों और गोआ पुलिस को मिली लाशों में कुछ सम्बन्ध था?अगर हाँ, ये क्या सम्बन्ध था?

ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर आपको इस कॉमिक बुक को पढ़ने में मिलेंगे।

मुख्य किरदार:
प्रज्ञा पराशर - एक कॉमिक बुक राइटर और आर्टिस्ट
तनेजा - कॉमिक कॉमिक कंपनी का मालिक जिसके लिए प्रज्ञा काम करती थी
काले, गोरे - गोवानी बॉस के आदमी
मुरु अन्ना - सटका अन्ना का आदमी
गोवानी बॉस - काले गोर के आदमी
सटका अन्ना - वो आदमी जिसने गोवानी को ड्रग्स बेचा था
तिजानिया - एक लड़की जो गोआ की सडकों में रक्त पी रही थी
ए सी पी हर्षवर्धन - गोआ पुलिस का अफसर जो गोआ में हो रहे रक्त पात की जांच कर रहा था
अन्वेषक - एक व्यक्ति जिसकी तिजानिया को तलाश थी
बालाशक्ति - एक बड़ा व्यापारी
यज्ञा - एक असुर देवी

मेरे विचार:
यज्ञा : लाइट कैमरा कॉमिक्स यज्ञा कॉमिक बुक श्रृंखला का पहला कॉमिक्स है। बुल्सऑय प्रेस द्वरा प्रकाशित यह कॉमिक बुक परिपक्व पाठकों के लिए है। भारत में यह माना जाता रहा है कि कॉमिक बुक बच्चों के लिए ही होते हैं लेकिन यह मेरे ख्याल से एक कहानी कहने का माध्यम है और इसके माध्यम से आप किसी भी तरह की कहानी कह सकते हैं। फिर चाहे वो कहानी बच्चों के लिए हो या वयस्कों के लिए। जापान में जैसे मांगा सभी लोगों के लिए होता है वैसे ही भारत में इस माध्यम को लोग अलग अलग तरह की कहानियाँ कहने के लिए एक्सप्लोर कर रह हैं जो कि एक अच्छी बात है। यज्ञा एक अर्बन फंतासी सीरीज होने वाली है और यह इसका पहला अंक है। इस कॉमिक्स में पाठको का इस श्रृंखला के मुख्य किरदारों से परिचय कराया गया है।

कॉमिक बुक की कहानी गोआ की पृष्ठभूमि में आगे बढती है। नया साल है। ड्रग माफिया के बीच में जंग छिड़ी हुई है। और गोआ में कुछ ऐसा घटित हो रहा है जो कि प्राकृतिक तो नहीं लगता है। कुछ है जो गोआ की गलियों में घूम रहा है और लोगों को आतंकित कर रहा है। इन्ही के बीच प्रज्ञा पराशर नाम के एक कॉमिक बुक क्रिएटर है जिसे अपने सपने टूटते दिख रहे हैं और उसके तार कैसे इन सब गतिविधियों से जुड़ते हैं यही कॉमिक बनता है।

कॉमिक में गैंगस्टर हैं जिनकी बातें हास्यरस से भरी हुई होती है और बरबस ही आप हँस देते हैं। एक टाइट बुना हुआ कथानक है जो कि आपको आगे पढ़ते जाने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक नई दुनिया और नई हीरोइन की शुरुआत है जो कि आपको ये सोचने के लिए मजबूर कर देता है कि आगे क्या होगा। इस हीरोइन के जीवन के आने वाली घटनाओं का आप हिस्सा बनना चाहते हैं।

कॉमिक बुक के किरदार रोचक हैं। चूँकि यह कहानी का पहला भाग है तो कॉमिक के अंत में काफी सवाल आपके लिए छोड़े जाते हैं। बालशक्ति का किरदार भी रहस्यमयी है। वो अचानक से प्रज्ञा में क्यों रूचि ले रहा है? आप ये सोचे बिना नहीं रह पाएंगे। ए सी पी हर्षवर्धन का किरदार भी लुक और एटीट्यूद से आकर्षक लगता है। यज्ञा की एंट्री केवल अंत में होती है तो उसके विषय में इस अंक में तो कुछ पता नहीं चलता है।

इस कॉमिक में अभी कहानी सेट-अप हो रही है  इस बेहतर होगा इस अंक के बाद आप दूसरे अंक को भी खरीद ले ताकि आपको अधूरा अधूरा न लगे। इस कॉमिक्स से शुरू हुई कहानी अगले भाग ब्लड बाथ में जाकर खत्म होती है। मेरे पास वो अंक भी मौजूद था तो मैंने इसके बाद उसे ही पढ़ा था।

कॉमिक्स का आर्टवर्क मुझे पसंद आया है। इस साइज़ में कॉमिक लायी गयी है तो मुझे अच्छा लग रहा है। चूँकि ये कॉमिक बड़े साइज़ में है तो आर्ट वर्क खिलकर आता है। आर्ट वर्क की क्वालिटी बेहतरीन है। सुशांत जी वैसे भी अनुभवी कलाकार हैं उनका अच्छा काम दिखाई देता है।

कॉमिक बुक में कुछ कमी तो मुझे नहीं लगी है।हाँ, प्रज्ञा के पिता का नाम बदलता रहता है। शुरुआत में एक जगह कॉमिक बुक पर नाम प्रतीक पराशर लिखा होता है लेकिन जब पैनल में नाम दिया होता है तो वो प्रशांत पराशर दिया होता है। फिर आगे चलकर बालाशक्ति भी प्रतीक पराशर नाम बताता है। चूँकि कॉमिक केवल 36 पृष्ठों की है तो इसमें ऐसी गलती थोड़ी खलती है। इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।

हाँ, एक सुझाव मेरा यज्ञा के कपड़ों को लेकर है। अगर लेखक और आर्टिस्ट माने तो यज्ञा के कपड़े अभी वैसे लगते हैं जो कि आदमियों की फंतासी के हिस्से हैं। एक योद्धा के लिए शायद ही वो अनुकूल हों। ये दिखने में अच्छे हैं लेकिन अगर वो इसे बदल कर एम एम ए फाइटर्स के तर्ज पर बना दें तो शायद वो बेहतर होगा। मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है उससे किरदार में क्वालिटी बढ़ जाएगी और ऐसा नहीं लगेगा कि लड़कों को आकर्षित करने के लिए इसे बनाया गया है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि शक्ति और देवी के बाद यह शायद कुछ तीसरी भारतीय कॉमिक बुक श्रृंखला है जिसमें केंद्र में कोई लड़की है। यह एक अच्छी पहल है और मुझे इससे काफी उम्मीदें बंध गयी हैं।

किताब की कीमत 199 रूपये है। फेनिल कॉमिक्स के साईट में यह कॉमिक आपको 165 में मिल जाएगी। अगर आप राज कॉमिक्स पढ़ते हैं तो शायद आपको यह कीमत थोड़ी ज्यादा लगे। इनका साइज़ बड़ा है लेकिन फिर भी भारतीय पाठक की पॉकेट इतनी आसानी से नहीं खुलती है। अगर कीमत में विचार किया जा सके तो बेहतर होगा।

अंत में यही कहूँगा। कहानी की शुरुआत मुझे पसंद आई। प्रज्ञा के किरदार ने मेरी रूचि जगाई है। मैं प्रज्ञा और यज्ञा दोनों से दोबारा मिलना चाहूँगा।


रेटिंग: 4/5

फेनिल कॉमिक्स

कुछ प्रश्न
प्रश्न 1: परिपक्व पाठको के लिए लिखे गये कॉमिक्स क्या आप पढ़ते हैं? अगर आप व्यस्क हैं तो आप किन विषयों में ऐसे कॉमिक्स पढ़ना चाहेंगे?
प्रश्न 2: आजकल भारतीय बाज़ार में कई कॉमिक प्रकाशक आ चुके हैं। आपको इन नये प्रकाशनों में कौन से प्रकाशन और इनकी कौन सी कॉमिक किताबें पसंद हैं?

नितिन मिश्रा जी की दूसरी रचनाएँ भी मैंने पढ़ी हैं उनके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
नितिन मिश्रा

दूसरे कॉमिक्स के प्रति मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
कॉमिक्स


© विकास नैनवाल 'अंजान'
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2 Comments
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  1. जी अगर परिपक्व कॉमिक्स की बात करे तो मैं फिलहाल कई शेनिन (वयस्क) मांगा पढ़ रहा हूँ। ऐसे मैं लगभग सभी शैली या विषय के पढ़ लेता हूँ।

    पर मुख्यतः मुझे horror और रहस्य पसंद है वयस्क मांगा मे। फिलहाल Ito Junji के मांगा पढ़ रहा हूँ।

    वही भारतीय प्रकाशकों की बात करू तो मैने अधिक नही पढ़े है।

    जब छोटा था तब टिंकल और चंदामामा कॉमिक्स पढ़ पाया था।

    अभी कुछ वर्षो तक भी मौका मिलने पर मैं टिंकल खरीद लेता था, पर फिर जबसे टिंकल की नई संपादक आई है, तब से टिंकल का स्तर गिर गया।

    मेरे पिता के पास उनके बचपन के कुछ कॉमिक्स थे डायमंड कॉमिक्स के, वह भी पढ़े थे।

    मौका मिला तो नए वाले भारतीय कॉमिक्स भी पढ़ूँगा।

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    1. सही है। मैंने आजतक मांगा नहीं पढ़ा है। मैं भी कुछ पढ़ना चाहूँगा। जल्द जी कोई उठाता हूँ।

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