नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

अनोखी दुनिया - एस सी बेदी

रेटिंग : 2/5
किताब 10 जून 2018 से 12 जून 2018 के बीच  पढ़ी गई

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 40
प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स

पहला वाक्य:
"विनय। मेरा पेन मुझे वापस कर दो।"

महेश अर्जेंटीना एक इंजिनियर के तौर पर गया था। लेकिन प्राकृतिक रहस्यों के खोज के शौक ने उसे अपने काम को छोड़कर एक ऐसी दुनिया की यात्रा करने को मजबूर कर दिया जहाँ छुपा ख़ज़ाना उसे दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति बना सकता था। वो यात्रा पे तो निकला लेकिन वापस न आ सका।

वापिस आई तो एक चिट्ठी और कुछ दस्तावेज जिसे उसने अपने भाई, श्याम को देने को कहा था। महेश ने अपने छोटे भाई को वो करने को कहा था जो वो नहीं कर सका था। अब श्याम को उन दस्तावेजों की मदद से महेश तक पहुँचना था। साथ ही उसे ग्लोरा प्रदेश की अनोखी दुनिया की यात्रा करनी थी और वो खज़ाना हासिल करना था जो उसका भाई न कर सका।

कई लोग तो मानते थे कि महेश अब नहीं रहा। महेश के दल का एक ही व्यक्ति ही तो वापस आया था। लेकिन श्याम को उम्मीद थी कि उसका भाई जिंदा है और वो अपने भाई को बचाने के लिए जाना चाहता था।

यही कारण था कि वो प्रोफेसर प्रताप के पास उनकी मदद मांगने गया था। अब ये मदद और जरूरी थी क्योंकि रास्ते में उसका टकराव कुछ ऐसे खतरनाक लोगों से हो गया था जो कि उससे वो दस्तावेज हथियाना चाहते थे जिनके जरिये ये यात्रा करी जा सकती थी।

आखिर खज़ाने के पीछे पड़ने वाले ये लोग कौन थे? इनको श्याम के विषय में कैसे पता चला?

क्या प्रोफेसर प्रताप श्याम की मदद करने को तैयार हुए?

क्या शाम का भाई महेश ज़िन्दा था? क्या श्याम अपने भाई को बचा पाया?

'आनोखी दुनिया' की यात्रा का अंजाम क्या हुआ? कैसे खतरों से इन्हें दो चार होना पड़ा?


मुख्य किरदार :
महेश - एक भारतीय इंजिनियर जो अर्जेंटीना गया था
रामू - महेश का वफादार नौकर जो उसके साथ अनोखी दुनिया की यात्रा में गया था
रेखा - महेश की मंगेतर
प्रोफेसर प्रताप - एक वैज्ञानिक जो कि कई प्राकृतिक रहस्यों की खोज वाले अभियानों को सफलता पूर्वक अंजाम दे चुके थे
विनय और दिव्या - प्रोफेसर के सहायक
आईरस - अर्जेंटीना का एक बहुत बड़ा बदमाश
डॉक्टर आर्कर - श्याम के पिता के दोस्त जो कि अर्जेंटीना में रहते थे
अजीना - डॉक्टर आर्कर की बेटी
रोनाई - डॉक्टर आर्कर का सहायक
गानी - एक युवक जो प्रोफेसर प्रताप के दल में शामिल होकर अनोखी दुनिया की यात्रा करना चाहता था
मेजर माईकल स्टोन - एक शिकारी जो रोमांच के लिए यात्रा में जाना चाहता था
कागली - ग्लोरा प्रदेश का सबसे शक्तिशाली इनसान
चाको - ग्लोरा का राजा
नेलिस - ग्लोरा के पूर्व राजा गोलिन का बेटा
राजकुमार मालसी - ग्लोरा का असली उत्तराधिकारी जिसको लेकर उसकी माँ भाग गई थी


'अनोखी दुनिया'  एस सी बेदी जी द्वारा लिखी गई एक साहसिक रोमांचक कथा है। जब मैंने राज कॉमिक्स से राजन इकबाल का सेट मंगवाया था तो उम्मीद की थी कि उन सत्ताईस किताबों में केवल राजन-इकबाल से जुड़े उपन्यास ही होंगे लेकिन अब जैसे जैसे किताबों को पढ़ रहा हूँ तो ऐसी साहसिक रोमांच कथाओं से रूबरू हो रहा हूँ। ये ऐसी कथाएँ हैं जिनमें राजन-इकबाल की मौजूदगी नहीं रहती है। लेकिन ये घटती उसी दुनिया में हैं जिसमें राजन इकबाल हैं क्योंकि उनका जिक्र इनमें रहता ही है। इस लघु उपन्यास में भी विनय का किरदार इकबाल और सलमा का जिक्र करता है।

उपन्यास, जैसे कि आवरण पृष्ठ से जाहिर होता है कि,  एक साहसिक रोमांचक कथा है। किरदार एक  यात्रा पर निकलते हैं जिसमें निकलने से पहले और निकलने के बाद उन्हें मुसीबतों से दो दो हाथ करने होते हैं। ये घटनायें  उपन्यास में रोमांच लाती  हैं। इसके अलावा विनय की मसखरी भी उपन्यास पढ़ते समय पाठको को गुदगुदाती है। विनय चूँकि इकबाल को जानता है तो उससे प्रभावित ही दिखता है। अभी तक मैं कुछ ऐसे उपन्यास पढ़ चुका हूँ जिनमें मसखरी के लिए बेदी जी कोई दूसरा किरदार चुनते हैं लेकिन वो अक्सर इकबाल की फोटो कॉपी ही लगते हैं। इधर भी विनय की हरकतें देख देख कर इकबाल की ही याद आती है। अगर एस सी बेदी जी ऐसा करने से बच जाए तो बेहतर होगा। कुछ लहजे में फर्क या मजाक के तरीके से फर्क लाकर किरदारों का निर्माण करें तो शायद किरदार एक मकबूल किरदार की कॉपी लगने से बचे। वरना बार बार वही चीज अलग अलग किरदारों के माध्यम से पढने से पाठक को एकरसता अनुभव हो सकती है। वो सोच सकता है कि इसकी जगह उसी किरदार को रख देते जिसकी कॉपी ये है।

उपन्यास का कलेवर काफी छोटा है। चूँकि इसे चालीस पृष्ठों में निपटाना था तो उपन्यास उतना रोमांचक नहीं बन पाया है जितना बन सकता था। किरदारों की ग्लोरा प्रदेश की यात्रा और रोमांचक हो सकती थी। आखिरी का युद्ध और रोमांचक बनाया जा सकता था। अगर इनमें विस्तृत विवरण होता तो पाठक को और मजा आता। इसके इलावा उपन्यास के शुरुआत में एक खतरनाक अपराधी आईरस की एंट्री हुई थी। मुझे उम्मीद थी कि वो बाद में भी आएगा और किरदारों की पहले से ही बड़ी हुई परेशानी में इजाफा करेगा। लेकिन ये  भी नहीं हुआ। यानी उपन्यास की कहानी को उसकी पूरी सम्भावनाओं के साथ एक्स्प्लोर नही किया गया।  मुझे लगता है लेखक को इस कहानी का एक विस्तृत संस्करण लिखना चाहिए। काफी कुछ इसके साथ किया जा सकता है जो शायद कहानी को एक निर्धारित पृष्ठों की सीमा तक बाँधने के चक्कर में रह गया।

ऊपर लिखी बातों का मतलब ये नहीं है कि उपन्यास पठनीय नहीं है। उपन्यास पठनीय है। एस सी बेदी जी का टिपिकल सेन्स ऑफ़ ह्यूमर भी इसमें झलकता है। किताब एक बार पढ़ी जा सकती है। बस मुझे लगता है कहानी के विषय के हिसाब से कहानी काफी ज्यादा रोमांचक बन सकती थी जो कि नहीं हुआ है।

अगर आपने इस लघु उपन्यास को पढ़ा है तो आपको ये कैसा लगा? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा।  अगर आप इस उपन्यास को पढ़ना चाहते हैं तो ये राजकॉमिक की साइट पर उपलब्ध है। उपन्यास राजन इकबाल कलेक्शन के साथ ही आता है। आप इस कलेक्शन को निम्न लिंक मँगवा सकते हैं:

राज कॉमिक्स

मैंने एस सी बेदी जी के दूसरे उपन्यास भी पढ़े हैं। उनके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
एस सी बेदी
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6 Comments
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  1. maine bhi mangwaa liyaa ye set... maine aise hindi upanyaas nahi padhe lekin videsho ke padhe the aur sochtaa thaa kee india me aisa kyun nahi likha gaya. jabkee mujhe ye sabse fast selling books in terms of production & chances of readers liking it.

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    1. जी, मुझे भी पिछले वर्ष ही इनका पता चला। जीवन में कभी बाल उपन्यास नहीं पढ़ा था। सोचा देखता हूँ उस वक्त कैसे लिखे जाते थे। बाल उपन्यास में जिन्होंने पर्सी जैक्सन जैसे वृद्ध कथानक पढ़े हैं उन्हें ये शायद ज्यादा सिम्पल लगेंगे। आपकी राय जानने को इच्छुक हूँ।

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    2. अभी तो मैं पढने के लिए उत्सुक हूँ, भारतीय लोगों को अपने जमीन की कहानियाँ परक्य जैक्सन या हैरी पॉटर जैसे परिपक्वता से कहने की जरूरत है. और मैं भी अब हिंदी साहित्य से जुड़ना शुरू हो रहा हूँ और मजा आ रहा है. पता नहीं क्यूं इतनी मायूशी है उपन्यासों के बाजार में

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    3. बस हिन्दी में उतने पाठक नहीं है क्योंकि आजकल की पीढ़ी के बच्चो के लिए बाल उपन्यासों की कमी है.... इससे बच्चे शुरुआत में अंग्रेजी के उपन्यास पढ़ने लगते हैं और फिर उनको हिन्दी पढ़ने की आदत नहीं रहती... ऐसे में नये पाठक नहीं बन पाते और किताबें बिना पढ़े रह जाती हैं....इसलिए अच्छे बाल उपन्यास आने जरूरी हैं ताकि नए पाठक तैयार होते रहे.....

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  2. इस बाल उपन्यास की कहानी महेश भट्ट की फिल्म ' नाम ' से मिलती है ...

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    1. अभी विकी में फिल्म के विषय में पढ़ा... नहीं केवल भाई के बाहर जाने का पॉइंट ही उस फिल्म जैसा है.. बाकी लघु उपन्यास की कहानी काफी जुदा है....

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