रेटिंग : ३/५
उपन्यास ३ अप्रैल २०१६ से अप्रैल ६ २०१६ के बीच पढ़ा गया
संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या: ३२०
प्रकाशक: राजा पॉकेट बुक्स
सीरीज : देवराज चौहान और मोना चौधरी
पहला वाक्य :
मोना चौधरी भाग रही थी।
देवराज चौहान और मोना चौधरी आमने सामने आ चुके थे। जिस इंसान को बचाने का जिम्मा देवराज ने लिया था उसके ही अपहरण की सुपारी मोना उठा चुकी थी।
फ़कीर बाबा के अनुसार ये पहली बार नहीं था जब इन दो दिग्गजों में टकराव हुआ था। पिछले तीन जन्मों से इनके बीच टकराव होता आया था और नतीजा केवल एक था। वो था दोनो की मौत। लेकिन इस जन्म में इस टकराव का परिणाम कुछ अलग होना था। एक ने मरना था और एक ने जीना।
उनकी बात में कितनी सच्चाई थी? क्या होगा इस टकराव का नतीजा?
कौन होगा अपने मकसद में कामयाब?
उपन्यास ३ अप्रैल २०१६ से अप्रैल ६ २०१६ के बीच पढ़ा गया

फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या: ३२०
प्रकाशक: राजा पॉकेट बुक्स
सीरीज : देवराज चौहान और मोना चौधरी
पहला वाक्य :
मोना चौधरी भाग रही थी।
देवराज चौहान और मोना चौधरी आमने सामने आ चुके थे। जिस इंसान को बचाने का जिम्मा देवराज ने लिया था उसके ही अपहरण की सुपारी मोना उठा चुकी थी।
फ़कीर बाबा के अनुसार ये पहली बार नहीं था जब इन दो दिग्गजों में टकराव हुआ था। पिछले तीन जन्मों से इनके बीच टकराव होता आया था और नतीजा केवल एक था। वो था दोनो की मौत। लेकिन इस जन्म में इस टकराव का परिणाम कुछ अलग होना था। एक ने मरना था और एक ने जीना।
उनकी बात में कितनी सच्चाई थी? क्या होगा इस टकराव का नतीजा?
कौन होगा अपने मकसद में कामयाब?
अनिल मोहन जी का उपन्यास हमला मुझे पसंद आया। उपन्यास उनके दो सबसे महत्वपूर्ण पात्रों मोना चौधरी और देवराज चौहान के इर्द गिर्द लिखा गया है। मैंने देवराज चौहान के एक दो उपन्यास तो पढ़े हैं लेकिन मोना चौधरी के किसी भी कारनामे से वाकिफ नहीं हूँ।खैर, इतना मुझे ज़रूर पता है कि दोनों बहुत खतरनाक हैं। अक्सर जब दो महत्वपूर्ण किरदारों को आमने सामने लाया जाता है तो उपन्यास का कलेवर बढ़ ही जाता है। लेखक को उपन्यास में बराबरी की जगह देनी होती है। ऐसा इस उपन्यास में भी हुआ है। 'हमला' इस कहानी का पहला भाग है जो कि 'जालिम' में खत्म होती है।
उपन्यास थ्रिलर है और इसमें रोमांच की कमी नही है। प्लाट में ट्विस्ट भी हैं जो पाठक को कहानी से बांधते हैं। हाँ, क्योंकि सारा उपन्यास का पूरा दारोमदार इस बात पे था कि मोना चौधरी और देवराज का टकराव होगा और ये टकराव अंत तक नहीं होता है तो कभी कभी कहानी थोड़ी लंबी लगने लगती है। और जब आप अंत तक आते हैं तो आपको पता चलता है कि उपन्यास की कहानी अगले उपन्यास में पूरी होगी तो निराशा तो होती ही है।(मुझे एकल उपन्यास पढ़ने पसंद हैं।)
मोना चौधरी और देवराज चौहान के प्रशंसक इससे निराश नहीं होंगे।
उपन्यास ने मेरा पूरा मनोरंजन किया लेकिन चूंकि कहानी आधी है तो इसने मेरे जेहन में कई सवालों को खड़ा भी किया है। इन सवालों के जवाब तो इस कहानी के अगले हिस्से को पढ़ने पे मिलेंगे। और दुर्भाग्यवश इस वक्त इसका अगला हिस्सा मेरे पास नहीं है। खैर, ढूँढना तो पढ़ेगा ही।
मेरी राय में अगर आप इस उपन्यास को पढ़ना चाहते हैं तो हमला के साथ साथ जालिम भी खरीदियेगा।अगर आपने उपन्यास पढ़ा है तो इसके विषय में अपनी राय देना न भूलियेगा।
उपन्यास आप इधर से मँगवा सकते हैं :
राजकॉमिक्स
उपन्यास आप इधर से मँगवा सकते हैं :
राजकॉमिक्स
जब कोई उपन्यास पार्ट में हो और उसका आगामी पार्ट न मिले तो कहानी का सारा स्वाद ही खत्म हो जाता है। मेरे साथ ऐसा क ई बार हो चुका है।
ReplyDeleteअब भी क ई उपन्यास मेरे पास ऐसे उपलब्ध हैं जो पार्ट में हैं जब तक उनका पार्ट नहीं मिल जाता तब तक उनको नहीं पढूंगा।
आपकी समीक्षा अच्छी है, धन्यवाद।
सही कहा। अब जाकर इसका पार्ट मिला है। अब सोचता हूँ दोनों एक साथ पढ़ूँगा।
DeleteAny idea where can I find 'Jaalim' ?
ReplyDeleteRaj comics was selling it few months back. But i can't find it now on their site. If you live near Delhi then you can get it from their showroom in Dariba Kalan. Here is their address:
DeleteRaj Comics 112, First Floor Dariba Kalan Delhi 110006
दिल्ली से बाहर रहने वाले इन उपन्यासों को कैसे मंगवाए जा सकतें है
ReplyDeleteअनिल जी की कई नोवेल्स आपको राज कॉमिक्स की साइट से मिल जाएँगी। आप उधर से आर्डर कर सकते हैं। लिंक ये रहा:
Deletehttp://www.rajcomics.com/index.php/300301/hindi-novels/anil-mohan
इधर हमला भी है। बाकी जालिम मिलना मुश्किल है। मुझे रेलवे स्टेशन के ए एच व्हीलर स्टाल पर मिला था। उधर शायद मिल जाये।
ye down load kese honge
ReplyDeleteमैं तो खरीद कर पढ़ता हूँ मेरे भाई।
DeleteKoi please mujhe batayega ki kaha milegi mona Choudhary series ki novel
ReplyDeleteमोना चौधरी श्रृंखला के कुछ उपन्यास हाल ही में अनिल मोहन जी ने किंडल पर प्रकाशित किये हैं.. आप उन्हें उधर जाकर पढ़ सकते हैं:
Deleteअनिल मोहन